सदन में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने संविधान (126 संसोधन) विधेयक 2019 द्वारा प्रस्तावित 368 के खंड (2) के परन्तुक के खंड (घ) के अंतर्गत भारत के संविधान का संसोधन करने का अनुसमर्थन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 जनवरी तक देश की 50 फ़ीसदी विधानसभा में इसको अगले 10 साल तक के लिए पारित करना जरूरी था, इसलिए इस विधेयक के लिए हिमाचल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। दिसंबर में शीतकालीन सत्र के बाद केन्द्र ने इसको लाया इसलिए उस वक़्त इसे सदन में नहीं लाया जा सका। अब क्योंकि 25 जनवरी से पहले इसे पारित करना है इसलिए विशेष सत्र बुलाया गया है।
इस पर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का पूरा अनुसमर्थन करता है। 70 साल से ये आरक्षण चला आ रहा है। हिमाचल विधानसभा में भी 17 सदस्य एससी से हैं जबकि 3 सदस्य एसटी वर्ग से चुने हुए है। इस प्रावधान को समाज मे बराबरी के लिए किया गया है। अब 2030 तक ये बढ़ाया जाना है। डॉ आंबेडकर का जिक्र करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि 70 साल बाद भी वह नहीं हो पाया जिसकी बाबा अम्बेडकर ने उम्मीद की थी इसलिए इसकी बढ़ाना पड़ा।
मुकेश ने कहा कि लोकसभा में भी 84 सीट एससी और 47 सीट एसटी की है जबकि देश की विधानसभाओं में 614 सदस्य एससी वर्ग के हैं। अग्निहोत्री ने प्रदेश में एससी वर्ग के साथ आज भी हो रहे भेदभाव पर दुःख व्यक्त किया और इसको दूर करने पर बल दिया। अग्निहोत्री ने राज्यपाल के अविभाषण पर भी सवाल उठाया और कहा कि या तो दिसंबर में विशेष सत्र बुला लिया जाता या फ़िर राज्यपाल का अविभाषण पूरा करवाया जाता। संविधान के मुताबिक़ राज्यपाल एक बार ही सदन में आ सकते है या फ़िर नई सरकार बनने पर राज्यपाल आ सकते हैं। ये सरकार की नाकामी है कि आज राज्यपाल का अविभाषण नहीं करवा पाए। इस पर विस्तृत चर्चा होती।
इस पर कृषि मंत्री राम लाल मार्कण्डेय ने कहा कि इस वक़्त आरक्षण विधेयक पर चर्चा की जरूरत नहीं है। इसको आज सिर्फ पारित किया जाना है। कांग्रेस के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि आरक्षण भाजपा की उपलब्धि नहीं है। इसका श्रेय लेने की कोशिश सत्ता पक्ष न करे। इस संविधान को बनाने के लिए 2 साल का वक़्त लगा था। ये कांग्रेस की ही देन है। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कहा कि हालात अभी भी उतने बदले नहीं है जितनी कि उम्मीद थी। अब भी देश प्रदेश में दलितों को प्रताड़ित करने की खबरें प्रकाशित होती रहती हैं।
ठियोग के विधेयक कॉमरेड राकेश सिंघा ने भी इस आरक्षण के विधेयक का समर्थन किया। आरक्षण को बढ़ाना एक रिव्यू है। लेकिन आज भी इसकी जरूरत क्यों है। 70 साल बाद भी इस वर्ग को न्याय नहीं दे पाए। मिड-डे मील में अलग बिठाया जाना, मंदिरों में प्रवेश न देना और अन्य भेदभाव आज भी जारी है। एससी एसटी के पास जमीन भी 14 फ़ीसदी है। हिमाचल में 23 जमीन एससी-एसटी के पास है। नौकरियां भी इन वर्गों के पास कम हैं। इस पर भाजपा विधायक बलवीर सिंह, कांग्रेस विधायक राम लाल ठाकुर, धनी राम शांडिल ने अपने अपने विचार रखे और बिल का समर्थन किया।
वहीं, राकेश पठानियां ने जब इस बोलना शुरू किया तो सदन में शोर मच गया। राकेश पठानिया ने विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया और आरक्षण का सारा का सारा ठीकरा विपक्ष पर फोड़ना शुरू कर दिया। इस पर दोनों तरफ़ से बहसबाज़ी शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा की ज़रूरत नहीं थी विपक्ष इसका राजनीतिकरण कर रहा है। इस पर विपक्ष के नेता ने कहा कि कांग्रेस नहीं बल्कि आरएसएस आरक्षण का विरोध करती रही है। इस पर दोनों तरफ से हंगामा हुआ और तीखी नोंक-झोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आरएसएस को बीच में न लाएं।
जगत नेगी ने कहा कि आज देश को मनुवादी, रूढ़िवादी और छुआछूत से आज़ादी चाहिए। मनुवादी कलंक जब तक नहीं हटेगा छुआछूत से आज़ादी नहीं मिलेगी। 30 फ़ीसदी लोग देश पर राज कर रहे हैं। इस पर सत्ता पक्ष ने हल्ला भी किया और उनकी बातों पर आपत्ति भी ज़ाहिर की। ये संशोधन पहली बार नहीं बल्कि 8वीं मर्तबा हुआ है। सामाजिक अधिकारिता मंत्री डॉ राजीव सैजल ने कहा कि नाचन विधानसभा के मंदिर में उन्हें भी प्रवेश नहीं करने दिया गया था। नंद लाल, सुखविंदर सिंह और आशा कुमारी ने भी सरकार के सदस्यों पर सवाल उठाए तथा इस पर अपने विचार रखे साथ ही बिल का समर्थन किया।
चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि आरक्षण बढ़ाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एकमत था लेकिन राजनीतिक बहसबाज़ी सही नहीं। यदि सब कुछ कांग्रेस ने किया तो पाकिस्तान भी कांग्रेस ने ही बनाया, ये भी स्वीकार किया। डॉ आंबेडकर को 45 साल बाद भारत रत्न देने की बात आई तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल को आई। बिल में चर्चा के लिए सत्ता पक्ष को मना नहीं है। इसका श्रेय कोई नहीं ले सकता क्योंकि जनता सब कुछ जानती है। इतनी गंभीरता से यहां चर्चा हुई उतनी गंभीरता अपने अपने क्षेत्र में भी दिखाएं तो बेहतर होगा। अब जातिप्रथा के बन्धनों से मुक्त होने की जरूरत है। कानून और योजनाओं से ही नहीं बल्कि अपने जीवन मे अपना कर जातिप्रथा को खत्म किया जा सकता है। हिमाचल में अनुसूचित जाति 25 फ़ीसदी है जिनके लिए 11 फीसदी से बढ़ाकर बजट 25 फ़ीसदी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के साथ छुआछूत की संकीर्ण मानसिकता को बदलने की जरुरत है। आज़ादी के 70 साल बाद आरक्षण की ज़रूरत नही होनी चाहिए थी लेकिन ऐसी परिस्थितियों का निर्माण नही हो पाया। मनु ने कंही जातिवाद को लेकर नही कहा। आरएसएस का समरसता ही सबसे बड़ा एजेंडा था व है। 68 विधायक तय करें कि छुआछूत को लेकर लोगों को जागरूक करें। राज्यपाल के अविभाषण पर विपक्ष के सवाल पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि बजट सत्र में विपक्ष राज्यपाल के अविभाषण पर जितना चाहे चर्चा कर सकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण का प्रावधान है। इसी के साथ बिल पास कर दिया गया और सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।