बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि भारत द्वारा बनाया गया नागरिकता कानून विश्व में नया नहीं है। दुनिया के बहुत से देशों में मूल निवासियों को फिर से बसाने और नागरिकता देने के कानून बने है। अमेरिका में वहां मूल निवासी जिन्हें रैड इंडियन कहा जाता था उन्हें कभी भी वापस आने पर नागरिकता दी जाती है। आस्ट्रेलिया में इसी प्रकार का कानून है। व्रिटेन में आइरिश लोगों के लिए विशेष कानून बना है। ब्राजील, ईटली, फ्रांस, जर्मन, रूस और स्पेन जैसे बहुत से देशों में ऐसे कानून बने है जिनके द्वारा उन देशों के मूल निवासी कभी भी अपने देश लौट सकते है उन्हें नागरिकता दी जाती है।
शांता कुमार ने कहा कि जापान में किसी भी अन्य देश में बसे मूल निवासी को वापस आने के लिए एयर टिकट तक दिया जाता हैं। कोई भी जापानी दुनिया के किसी भी हिस्से में रहे अपने देश में हमेशा निशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य का भी अधिकारी होता है। विश्व के लगभग सभी मुस्लिम और ईसाई देशों में इसी प्रकार के कानून है। समझ नहीं आता कि भारत द्वारा ऐसा कानून बनाने पर विपक्ष आपत्ति क्यों कर रहा है। उन्होने कहा कि विश्व में 56 मुस्लिम देश है। दुनिया के किसी भी देश में मुस्लिम जा सकता है। उन्हें वहां पर सब प्रकार की सुविधा दी जाती है।
उन्होंने कहा कि इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि यहां मुसलमानों के लिए विश्व में 56 देश है। वहां हिन्दूओं के लिए पूरी दुनिया में केवल एक देश भारत है। यदि किसी देश से पीड़ित और सताये हुए हिन्दूओं को भारत में शरण नहीं मिलेगी तो ये सब कहां जाएगे। उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के तुरन्त बाद यह समस्या पैदा होने लगी थी। पाकिस्तान से प्रताड़ित हिन्दू आने शुरू हो गये थे। उस समय महात्मा गांधी जी ने यह कहा था कि हिन्दू और सिख यदि पाकिस्तान में नहीं रह सकते तो उनको भारत में नागरिकता देने और सम्मानपूर्वक जीवन देना भारत सरकार का प्रथम कर्तव्य है। डा राजिन्द्र प्रसाद जी ने कहा था कि पाकिस्तान में कठिनाई झेल रहे हिन्दू कभी भी भारत आ सकते है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने यह साफ कहा था कि राजनीतिक सीमाओं के कारण हमारे भाई बहनों को यदि कोई कष्ट होता है तो हम उनकी सहायता करेंगे और वे जब चाहे आये हम उन्हें स्वीकार करेंगे। मनमोहन सिंह ने कहा था कि यदि अल्पसख्यकों को पाकिस्तान और बंगलादेश में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है तो हमारी नैतिकता है कि उन सब को नागरिकता प्रदान की जाये। उन्होने बड़े व्यथित हृदय से विपक्ष नेताओं से पूछा है कि इन सब एतिहासिक तथ्यों के प्रकाश में उन्हें यह आन्दोलन भड़काने पर जरा भी शर्म नहीं आती। भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे।