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पूर्व सरकारों ने बिना सोचे समझे किया शिक्षा का विस्तार, कई शिक्षण संस्थान बने डिग्री देने वाली दुकान: शांता

मनोज धीमान |

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृश्टि से भारत में सभी प्रदेशों से अधिक हुआ है। दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है। छोटे से हिमाचल प्रदेश में 21 विश्वविद्याल हैं। एक जिला में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय हों ऐसा ओर कहीं नहीं है। पता नहीं पिछली सरकारें किस उद्देश्य से रेबड़ियों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही है।

उन्होने कहा है कि CBI छात्रवृति घोटाले की जांच कर रही है। जिससे बहुत से फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है। विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजि अन्य संस्थाओं की भी हिमाचल प्रदेश में भरमार है। CBI जांच से हैरान करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। बिना पढ़े छात्रों को डिग्रियां मिलती रही, घर बैठे प्रमाण पत्र मिलते रहे। बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में न तो स्टाफ पूरा है न बैठने के लिए भवन है। बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेश लेते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ शिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई हैं।

शांता ने कहा है कि इस सबके परिणाम स्वरूप शिक्षा का स्तर बहुत गिरा है। प्रदेश में 1194 पटवारियों के पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार थे। उम्मीदवारों में एमए बीए पढ़े हुए उम्मीदवार थे जबकि आवश्यक योग्यता केवल मैट्रिक थी। लेकिन इन 3 लाख उम्मीदवारों में से केवल 1185 ही पास हुए। यदि यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उन में एम बीए पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो इससे ही शिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है। हिमाचल शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई टीजीटी मैडिकल परिक्षा में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए। बोर्ड द्वारा ली गई आठ विशयों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में भी 50 हजार छात्रों से केवल 10 हजार ही पास हुए है।

उन्होने कहा है कि एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है और दूसरी तरफ शिक्षा के घटिया स्तर से हिमाचल प्रदेश का युवा विफल हो रहा है। पिछली सरकारों ने किन्हीं निहत स्वार्थो के कारण इस प्रकार बिना सोचे समझे शिक्षा का विस्तार किया। बिना भवन के संस्थाओं की घोषणा कर दी। एक कमरे में कॉलेज खोल दिये। बहुत सी शिक्षा संस्थाएं ऐसी है जहां न अध्यापक पूरे हैं न और अन्य सुविधाएं।

उन्होने कहा है कि शिक्षा संस्थाओं के स्तर की जांच के लिए सरकार ने एक रेगूलेटरी आथोरिटी बनाई है उसका अपना ही बुरा हाल है। उसके अध्यक्ष पर कई प्रकार के आरोप लगते रहते हैं। उस आथोरिटी को ही रेगूलेट करने की आवश्यकता है। उन्होने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से विशेष आग्रह किया है कि इस महत्वपूर्ण समस्या पर अतिशीघ्र सरकार कड़ी कार्यवाही करे और अच्छी शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए। युवाओं से धन बटोर कर केवल सर्टीफिकेट देने वाली दुकानों को जल्द बंद किया जाए और दोषियों को सजा दी जाए।