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मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना ने दिया फसल बर्बाद न होने का भरोसाः अमर ठाकुर

समाचार फर्स्ट डेस्क |

जिला कुल्लू में नगान के अमर ठाकुर सोलर फेंसिंग के चलते जंगली जानवरों के डर के बिना कर रहे बागवानी मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किस तरह किसानों-बागवानों का भरोसा बनी है ये आनी के साथ लगते गांव नेवी के अमर ठाकुर के बगीचे में देखा जा सकता है। अमर ठाकुर इस योजना के तहत कृषि विभाग के सहयोग से लगी सोलर फेंसिंग से कम से कम इतना भरोसा कर सकते हैं कि जंगली और आवारा जानवर उनकी फसल को तबाह नहीं करेंगे। सोलर फेसिंग के कारण उनका बगीचा जहां आकर्षण का केंद्र बना है वहीं अन्य बागवान और किसान भी सोलर फेंसिंग लगाने के लिए उनसे जानकारी ले रहे हैं।

अमर ठाकुर बताते हैं कि उन्होंने एम 9 रूट स्टॉक पर करीब 1100 पेड़ का बगीचा लगाया है जिसके लिए उन्होंने लाखों रुपए खर्च किए। ये सब खर्च करने के बाद जंगली जानवरों के द्वारा फसल बर्बाद होने का डर सताने लगा। अमर ठाकुर का कहना है कि उनका बगीचा सड़क के दोनों ओर है, ऐसे में आवारा जानवर भी उनके खेत में सीधे ही प्रवेश करते हैं। बंदरों का उत्पात तो उनके क्षेत्र में अत्याधिक है। इसके चलते भी रात दिन फसल बर्बाद होने की चिंता सताती रहती थी। चूंकि अभी बगीचा सेंपल देने की स्थिती में है, उससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के बारे में सुना। जिसके तहत सोलर फेंसिंग से खेत में जंगली जानवर और आवारा जानवरों को प्रवेश को रोकने के लिए सोलर फेंसिंग का प्रावधान है। अमर ने कृषि विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में संपर्क साधा और अपने बगीचे में सोलर फेंसिंग लगाकर अपनी फसल की सुरक्षा सुनिशिचत की।

अमर ठाकुर का कहना है कि उनके बगीचे में सोलर फेसिंग लगाने का कुल खर्च करीब 1.40 लाख आना था, जिसमें से उन्होंने मात्र 28 हजार रुपए ही खर्च किया। बाकि का खर्च सरकार ने किया और आज उनकी सोलर फेंसिंग के कारण बगीचे की सुरक्षा हो रही है, वो भी बिना किसी बिजली के बिल के। सौर ऊर्जा से चलने वाली सोलर फेसिंग 24 घंटे बगीचे में चौकीदार की तरह काम कर रही है। विभाग ने कुछ महीने पहले ही इस योजना के तहत बाड़बंदी को उनके बगीचे में लगाया है। अमर ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत सोलर फेंसिंग उनके बगीचे के लिए जंगली और आवारा पशुओं से सुरक्षा के लिए रामबाण सिद्ध हुई है और वह इस योजना से पूरी तरह संतुष्ट है। साथ ही वह अन्य किसानों-बागवानों को भी सरकार की इस योजना का लाभ उठाने की बात कहते हैं।

किसान कैसे लें योजना का लाभ

कृषि विभाग के माध्यम से चलाई जा रही मुख्यमंत्री खेती संरक्षण योजना शुरू की गई है। जो सभी ब्लॉकों में उपलब्ध करवाई गई हैं। मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ किसानों के लिए सब्सिडी द्वारा दिया जा रहा है। इसमें किसानों को 80 से 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए कृषि विभाग की औपचारिकताओं को पूरा करना होगा।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों-बागवानों को सिर्फ 20 प्रतिशत राशि ही खर्च करनी पड़ती है। यदि तीन से ज्यादा किसान-बागवान इस योजना के तहत लाभ लेना चाहते हैं तो उन्हें मात्र 15 फीसद राशि खर्च करनी होती है। किसान बागवान कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

ये रहेगीं औपचारिकताएं

मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को कृषि विभाग की औपचारिकताएं पूरी करनी होगी। जिसमें किसानों को कृषि विभाग का एक फार्म भरना पड़ेगा उसके साथ जमीन की जमा बंदी, नक्शा भी लगाना होगा। किसान सामूहिक तौर पर भी योजना का लाभ ले सकते हैं।

क्या है सोलर फेंसिंग योजना

मुख्यमंत्री खेती संरक्षण योजना किसानों और बागवानों दोनों के लिए फायदेमंद है। इस योजना के तहत किसानों को जंगली जानवरों, आवारा पशुओं, बंदरों, जंगली सुअरों और अन्य प्रकार के जंगली जानवरों द्वारा खेती के नुकसान की समस्या से निजात मिलती है जोकि आज किसानों बागवानों की मुख्य चिंता है। योजना के तहत विभाग खेत के चारों तरफ बाड़बंदी करता है और उसे सोलर सिस्टम से जोड़ा जाता है।

जैसे ही आवारा पशु और जंगली जानवर इस बाड़ को पार करने की कोशिश करता है वैसे ही एक हाइ वोल्टेज का करंट लगता है जिससे जानवर भाग जाते हैं, इससे जानवरों और इंसान को कोई नुक्सान नहीं होता लेकिन करंट के कारण कोई भी इसे पार करने की कोशिश नहीं करता। बड़ी बात यह है कि बिना किसी बिजली बिल के ये बाड़ा सौर ऊर्जा से चलता है जोकि किसानों-बागवानों पर कोई वित्तीय बोझ नहीं डालता।

1815 किसान ले चुके हैं लाभ

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जहां किसानों-बागवानों के प्रति संवेदनशील है वहीं सरकार इस योजना को आम जन तक पहुंचाया जा रहा है। योजना के तहत दिसम्बर 2019 तक 1815 किसानों-बागवानों को लाया गया है। बाड़बंदी पर 50.38 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। कांटेदार तारों और चेन लिंक बाड़बंदी भी योजना में शामिल की गई है।