हिमाचल के जिला कांगड़ा में स्थित धर्मशाला को भले ही केंद्र ने स्मार्ट सिटी का दर्जा देकर इसे स्मार्ट बनाने की दिशा में अहम भूमिका अदा की हो। लेकिन धर्मशाला को स्मार्ट बनाने में यहां के लोग अपना योगदान देने से गुरेज़ कर रहे हैं। दरअसल, किसी भी शहर को तभी स्मार्ट बनाया जा सकता है अगर शहर की गंदगी को सही से ठिकाने लगाया जा सके। लेकिन इसी गंदगी को ठिकाने लगाने के धर्मशाला का कोई भी शख्स सरकार और प्रशासन को अपनी जमीन देकर राजी नहीं। इतना ही नहीं न ही इस प्लांट को पंचायतों के लोग अपनी पंचायत की जगह पर लगाने की हामी भर रहे हैं। इससे सरकार के समक्ष भी दोहरी परेशानी आकर खड़ी हो चुकी है।
वर्तमान में शाहपुर की सुधेड़ पंचायत में ये डंपिंग साइट बनी हुई है जहां के लोग आए दिन सरकार और प्रशासन के खिलाफ इसको हटाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, प्रशासन को भी इस डंपिंग साइट को बनाने के लिए कहीं जगह नहीं सूझ रही। आलम ये है कि जहां भी साइट सुनिश्चित की जाती है वहां के लोग पहले ही लामबद्ध हो जाते हैं। शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
सरवीण चौधरी की मानें तो इसके लिए कोई भी पंचायत आगे नहीं आ रही तो ऐसे में अब उनके सामने फॉरेस्ट लैंड पर ही डंपिंग साइट बनाने का एकमात्र रास्ता बच चुका है। लेकिन इसकी क्लीयरेंस के लिए बेहद जटिल प्रोसेस है जिसके लिए अभी लम्बा वक्त लगेगा। उसके लिए अभी लोगों को इंताजर करना होगा। बहरहाल, सालों से चली आ रही इस समस्या को सुलझाने के लिए लाख कोशिशें हो रही है। लेकिन स्थिती अभी भी सभी के सामने ढाक के महज़ तीन पात वाली ही बनी हुई है।