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केंद्र सरकार का बजट पूरी तरह कर्मचारी और मजदूर विरोधीः विजेंद्र मेहरा

पी. चंद, शिमला |

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज वित्त वर्ष 2020-2021 का बजट पेश किया। बजट क लेकर हिमाचल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार का बजट पूरी तरह कर्मचारी और मजदूर विरोधी है। सरकार की पूंजीपतियों और उद्योगपतियों से सीधी मिलीभगत है। परिणाम स्वरूप पूरे सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के दरवाजे इस बजट और इससे पहले जारी किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने खोल दिये हैं।

रेलवे में 150 निजी रेलें चलाना, एलआईसी और एयर इंडिया को बेचना, बीएसएनएल में 90 हज़ार कर्मचारियों को वीआरएस के लिए मजबूर करना, बैंकों का मर्जर कर तेरह हज़ार ब्रांचों को बन्द करना और लाखों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की साज़िश रचना, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेवा क्षेत्र के बजट में भारी कमी,बंदरगाहों के निजीकरण की साज़िश ये सब उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने और उनकी मुनाफाखोरी को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। इससे सरकारी क्षेत्र में लाखों स्थायी सरकारी नौकरियां खत्म होंगीं।

ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस के नाम पर चौबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके केवल चार श्रम संहिताएं बनाना स्थायी मजदूरों के संविदाकरण, ठेकाकरण, फिक्स टर्म रोजगार को जन्म देगा और उनकी सामाजिक सुरक्षा को खत्म करेगा। कॉरपोरेट टैक्स को मोदी सरकार ने साल 2014 की तुलना में लगभग आधा करके नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के नाम पर 15 प्रतिशत करके उन्हें लाखों करोड़ रुपये का फायदा दिया है जबकि सातवें वेतन आयोग और 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों पर मजदूरों के वेतन को 21 हज़ार रुपये करने की मांग को सरकार ने बिल्कुल सिरे से खारिज कर दिया है।

एनपीएस पर सरकार की खामोशी ने सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों की पोल खोल कर रख दी है। साफ नजर आ रहा है कि यह सरकार किसके साथ है। शाइनिंग इंडिया और चमकते भारत के पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के लिए लूट के सारे दरवाज़े खोल दिये गए हैं। सफरिंग इंडिया और तड़पते भारत के गरीबों, मजदूरों और कर्मचारियों का गला बुरी तरह घोंट दिया गया है। मोदीनोमिक्स और थालीनॉमिक्स की पोल खुल गयी है। यह बजट पूरी तरह पूंजीपति और उद्योगपति परस्त है। यह बजट गरीबों, मजदूरों और कर्मचारियों के लिए लॉलीपॉप और झुनझुना है।