नगर परिषद कांगड़ा में बेशक इस बार एक नए गुट का बोलबाला हो लेकिन अध्यक्ष पद के लिए अंतर्कलह के चलते आज भी परिषद में माथापच्ची जारी है। सूत्रों के मुताबिक, कल्ह और शर्तों के चलते आज परिषद के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अपने पद से इस्तीफा देने अशोक शर्मा एसडीएम कार्यालय पहुंचे और उन्हें त्याग पत्र सौंपा।
लिहाज़ा अशोक शर्मा ने भी साफ कहा है कि पारिवारिक प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने अपने पद से त्याग देने का निर्णय लिया है। सूत्रों की मानें तो अंदरख़ाने इस बात का एक तरह एग्रीमेंट हुआ था। दरअसल नगर परिषद में दूसरे गुट की जीत के बाद अध्यक्ष पद पर काफी गहम गहमी रही थी। जनता के साथ-साथ परिषद के सभी सदस्य अशोक शर्मा को अध्यक्ष बनाने पर अड़े थे लेकिन कुछ अंदरुनी कल्ह की वज़ह से उनके अध्यक्ष पद पर किसी और की नज़र थी।
अपनी पारिवारिक और दोस्ताना गतिविधियों के चलते उन्हें अध्यक्ष न बनाने की पूरी कोश़िश की गई, लेकिन जनता औऱ परिषद की मांग पर उन्हें 4 सितंबर 2018 को 11वां अध्यक्ष बना ही दिया गया। इसी बीच ख़बर थी कि उनका अध्यक्ष बनना भी कई शर्तों पर तय हुआ है। अचानक उनका अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना भी इसी शर्त का ही एक हिस्सा माना जा रहा है। इसका एक उदाहरण उस बात से भी लगाया जा सकता है जिसमें अशोक शर्मा ने 1 साल के अंदर अपना पद छोड़ने की बात कही थी। मौजूदा वक़्त में उनका कार्यकाल 16 महीने के रहा लेकिन कुछ अंदरूनी ताकतों या कहें की निजी मसलों-शर्तों की बदौलत उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ा।
हालांकि, इस पर अशोक शर्मा ने कोई भी बात नहीं की है और सिर्फ पारिवारिक प्रतिबद्धता का हवाला दिया है। लेकिन कांगड़ा शहर के राजनीतिक पंडित इस सारी बात से सहमत हैं। कयास है कि अशोक शर्मा को किसी शर्त के तहत हटाया गया है। जो नया अध्यक्ष बनने वाला है उसने न तो कभी कमेटी का चेहरा देखा है और न ही शहर की जनता उनसे वाकिफ़ है। साफ तौर पर कहें तो नगर परिषद पर हावी राजनीतिक समावेश और पारिवारिक गतिविधियां नया अध्यक्ष लाने जा रहा है।