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नगर निगम ने घोड़ा संचालकों पर डाला बोझ!, मुलाकात में वापस लेने की मांग उठाई

पी. चंद |

घोड़ा संचालकों की मांगों को लेकर आज शिमला नगर निगम की मेयर से सीटू के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मिला। इसमें नगर निगम द्वारा घोड़ा संचालकों के ऊपर 10 प्रतिशत वसूली को वापस लेने की मांग को प्रमुखता से उठाया। यदि समय रहते इस गरीब, मजदूर विरोधी फैसले को वापस नहीं लिया गया तो घोड़ा संचालकों की मांगो को लेकर निर्णायक आंदोलन लड़ा जाएगा ।

इस प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि एक तरफ देश और प्रदेश की सरकारें बोल रही है की स्वरोजगार को बढ़ावा दो, दूसरी तरफ जो इस तरह का रोजगार कर भी रहे हैं नगर निगम उन पर आर्थिक बोझ डालकर उनके रोजगार को छीन रहा है। हम कई दशकों से रिज मैदान में घोड़ो का संचालन कर अपने परिवार की रोजी रोटी चला रहे हैं और आज उसे भी छीना जा रहा है। स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को घोड़ों पर सवारी करवा कर पुश्तैनी रूप से अपना रोजगार अर्जित कर रहें हैं।

सभी घोड़ा संचालक नगर निगम के पास पंजीकृत है और दशकों से इसकी वार्षिक फीस भी नियमित रूप से देते आ रहें हैं। लेकिन नगर निगम शिमला ने हाल ही में अपनी मासिक बैठक में रिज पर घोड़ा संचालन को लेकर नई व्यवस्था आरम्भ कर रहा है जिसमें घोड़ा संचालकों द्वारा चलाये जा रहे घोड़ों का संचालन अपने हाथ में लेकर कुल कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा नगर निगम लेगा। यह न तो तर्कसंगत है और न ही न्यायसंगत है।
              
रोजगार हेतू घोड़ों की खरीद और अन्य साजोसामान पर लाखों रुपये कर्ज लेकर खर्च किये हैं। आज महंगाई के दौर में घोड़ों की देखभाल और इनको दाना तथा घास के लिए हजारों रुपये प्रति माह ख़र्च करने पड़ते हैं। आज इस महंगाई के दौर में हम अत्यंत कम दरों पर घोड़ों पर सवारी करवा रहे हैं जबकि 2014 से अभी तक घास और दानों की कीमतों में लगभग तीन गुणा की बढ़ोतरी हुई है। हमारी दरों में कोई भी बढ़ोतरी इसके बाद नहीं किी गई है। यदि इस फैसले को वापिस नहीं लिया गया तो सीटू घोड़ा संचालकों के हकों और उनकी रोजी रोटी को सुरक्षित रखने के लिए घोड़ा संचालकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नगर निगम के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी।