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परिवहन मंत्री को नहीं HRTC बसों की परवाह, दिल्ली में फंसी है वॉल्वो बस

डेस्क |

जयराम सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर पर आए दिन विभाग को लेकर सवाल उठते है। HRTC रोजाना करोड़ों की कमाई तो करता है लेकिन बदले में उसके रख रखाव और बाकी मैंनटेनैंस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। यही कारण है कि आए दिन HRTC बस में सड़क हादसे होते हैं और लोग बस सेवा से परेशान होते हैं।

ऐसे में ही एक ताजा मामला दिल्ली का सामने आया है जिसमें HRTC की एक वॉल्वो बस दिल्ली में फंसने की ख़बर है। बताया जा रहा है कि एक कंपनी ने बस को अपने कब्जे में रखा है। दरअसल, दिल्ली के लिए सेवाएं देने वाली ये बस रास्ते में खराब हो रही थी जब ड्राइवर और कंडक्टर ने विभाग के कहने पर इसे एक कंपनी के अंडर ठीक करवाया। 1 लाख रोजाना कमाई करने वाली बस तो ठीक हो गई लेकिन उसका बिल 95 हज़ार का बना जिसे विभाग ने नहीं दिया।

ये बस चंबा डिपो की है जिसने अभी तक कंपनी के बिल की आदयगी नहीं की है। इसके चलते कंपनी ने बस ड्राइवर और कंडक्टर को भेज दिया लेकिन बस को कब्जे में ही रखा है। कंपनी का कहना है कि विभाग बिल का भुगतान करे और अपनी गाड़ी ले जाए। लेकिन गाड़ी ठीक करवाकर भागने का सिलसिला नहीं चलेगा। इस पर अभी तक विभाग ने बिल चुकता नहीं किया है औऱ 4 दिनों से बस कंपनी के कब्जे में है। कहा तो ये भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर औऱ उनके सभी मंत्री दिल्ली में ही हैं औऱ वे उसे वापस ले आएंगे। लेकिन बात करें विभाग और मंत्री महोदय के ढुलमुल रवैये की तो इसका इलाज श़ायद सरकार के पास भी नहीं बचा..??

क्योंकि ये कोई पहली दफा नहीं जब विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हों। इससे पहले भी मंत्री पर ढुलमुल रवैया अपनाने के आरोप लग चुके हैं। एक अन्य मामले में एक महिला ने भी HRTC बस को लेकर अपना अनुभव शेयर किया था और बैजनाथ बस डिपो पर सवाल उठाए थे। महिला का कहना है कि विभाग ने 2 बसें भेजी लेकिन दोनों खटारा निकली। बस कुछ ही किलोमीटर के बाद हांफने लगी औऱ उनके टायर से धुंआ निकलने लगा। बस में कोई हेडलाइन नहीं थी और ड्राइवर-कंडक्टर भी बस को मजबूरी में चला रहे थे। विभाग की बसें खटारा हो चुकी हैं और मंत्री महोदय दिल्ली में डेरा डाले बैठे हैं। अग़र कोई हादसा होता है तो कर्मचारियों को दोषी ठहराया जाता है जबकि असली दोषी खुद मजे लूट रहे हैं।

कांगड़ा में निजी वॉल्वो की भरमार

जब से जयराम सरकार सत्ता में आई है तब HRTC की वॉल्वो बसें कम और निजी वॉल्वो बसों को चलन बढ़ गया है। कांगड़ा जिला की बात करें तो यहां से अधिकांश निजी बसें दिल्ली के लिए जाती हैं। इनके रूट मैक्लोडगंज, चांमुडा औऱ बैजनाथ वगैराह से लगते हैं और HRTC बसों के मुकाबले ये कम किराये में सवारियां ले जाते हैं। HRTC वॉल्वो में सफ़र करें तो दिल्ली तक किराया 1100 रुपये से ऊपर रहता है जबकि ये निजी बसे 700 से लेकर 900 रुपये तक लोगों को दिल्ली पहुंचा देती हैं।

HRTC की साधारण बस की बात करें तो दिल्ली का किराया 600 के क़रीब का रहता है। ऐसे में आम इंसान साधारण बस लेने की बजाय कुछ पैसे और देकर निजी वॉल्वो में आराम से सफ़र करना बेहतर समझता है। हालांकि HRTC वॉल्वो की बात करें तो इनका किराया कम नहीं होता औऱ अधिकांश बसें खाली और कम सवारियों के साथ सफ़र करती हैं। इसी के चलते कांगड़ा में निजी बसों को चलन बढ़ गया है और मंत्री महोदय के साथ विभाग भी इस पर कोई कदम नहीं उठाता। या यूं कहें की मंत्री महोदय की आदेशों के बाद ही प्रदेश में निजी वॉल्वो बसों का चलन बढ़ रहा है…!!!!!