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DFO पांगी करवा रहे हैं 50 लाख के टेंडर, टेंडर प्रक्रिया का कांग्रेस ने किया विरोध

समाचार फर्स्ट डेस्क |

जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र पांगी में वन विभाग इन दिनों सवालों के घेरे में है। यहां वन विभाग 49 लाख के अलग-अलग तीन टेंडर करवाने जा रही है। कहा जा रहा है कि ये टेंडर ऑफलाइन मांगे गये है । जिसका विरोध कांग्रेस पार्टी ने किया है । कांग्रेस के राष्ट्रीय संयोजक सुरजीत भरमौरी ने इस टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े  किये है । भरमौरी ने कहा है कि सरकार को हिमाचल से ज्यादा दिल्ली चुनाव की चिंता है ।

आपको बता दें कि शमशी कुल्लू में पांगी भवन का निर्माण, जिसकी अनुमानित राशि 49 लाख 99 हजार 817 दर्शायी गई है। निरीक्षण हट फिंडरु का निर्माण जिसकी अनुमानित राशि 49 लाख 99 हजार 9 सौ दर्शायी गई है। वहीं,  पठानकोट भवन के अतिरिक्त कमरे का निर्माण जिसकी अनुमानित राशि 49 लाख 16 हजार 817 दर्शायी गई है। ये तीनों कार्यो की टेंडर फॉर्म खरीदने की तारीख 31 जनवरी 2020 से 7 फरवरी 2020 शाम पांच बजे तक निर्धारित की गई है ।  डीएफओ कार्यलय पांगी में निविदा प्राप्त करने की अंतिम तारीख 10 फरवरी 2020 दी गई है।

अब सबसे बड़ी बात यह है कि डीएफओ पांगी द्वारा सर्कुलर दिनांक 18 अगस्त 2017 जो कि पीसीसी फोरेस्ट हिमाचल सरकार और सर्कुलर दिनांक 12 जून 2017 अतिरिक्त मुख्य सचिव फोरेस्ट हिमाचल और वित्त नियम 2009 को नजर अंदाज किया गया है। इससे साफ होता है कि वन विभाग अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के नियत उपरोक्त कार्यों की निविदा बिना ई-टेंडर के विज्ञापित किये हैं। जबकि उपरोक्त सर्कुलर और वित्त नियम 2009 के अनुसार पांच लाख से अधिक राशि वाले कार्यों की वेबसाइट पर विज्ञापित करना जरुरी है और कम से कम तीन सप्ताह का समय दिया जाना जरूरी है। ताकि सरकारी कार्यों में कुशलता और पारदर्शिता बनी रहे। अत्यधिक ठेकेदार बोली में भाग ले सकें जिससे विभाग को बोली में अधिक लाभ हो।

लेकिन लगता है कि पांगी वन विभाग शायद यह भूल गया कि लोक निर्माण विभाग के अब टेंडर ऑनलाइन हो रहे हैं। अगर लो.नि.वि ऑनलाइन टेंडर करवा सकता हैं तो वन विभाग क्यों नहीं करवा रहा है। जबकि पांगी घाटी में सड़कें बन्द पड़ी है और काम करने का समय 15 अप्रैल के बाद ही शुरू होता है। लो.नि.वि पांगी द्वारा 2018 से पांच लाख से ऊपर राशि वाले टेंडर ऑनलाइन डाले जाते हैं। डीएफओ पांगी ने उपरोक्त सर्कुलर और वित्त नियम 2009 के  विरोध में टेंडर डाले हैं। प्रदेश सरकार और विभाग के उच्चाधिकारी इन टेंडरों की विभागीय जांच करें। इसके अलावा विभाग द्वारा पांगी में जितने भी काम अन्य जगह घाटी में बिना ई-ट्रेन्डिंग के करवाये जा रहे हैं । उसमें भी लाखों का बजट लग रहा है।