हिमाचल प्रदेश चुनावों में पॉलिटिकल पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। इस बार के चुनावी मुद्दों में प्रदेश की तीन बड़ी पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई बंदरों के आंतक के मुख्य मुद्दे को निपटाने का वायदा कर रही हैं। हिमाचल में लगभग 23,00 गांव है जो बंदरों के आतंक से त्रस्त है जो प्रदेश के किसानों को पारंपरिक खेती से दूर कर रही है।
हिमाचल में कृषि विभाग के मुताबिक, बंदरों और पक्षियों के आंतक से लगभग 150 करोड़ रुपए का हर साल नुकसान होता है। इसी तरह जंगली पशुओं से 184.28 करोड़ रूपए का नुकसान प्रदेश में होता है। बंदरों के आंतक न सिर्फ गांव बल्कि शहरवासी भी इससे परेशान है। बीते तीन सालों में प्रदेश भर में बंदरों ने लगभग 674 लोगों पर हमले किए हैं। जिससे प्रदेश सरकार ने पीड़ितों को 28 लाख रुपये का मुआवजा दिया।
कांग्रेस की मांग है स्टरलाइज घोषित हो बंदर
दो साल पहले वीरभद्र सरकार ने केन्द्र सरकार से शिमला में बंदरों को स्टरलाइज घोषित करने की मांग की थी। केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के उठाए कदमों से असंतुष्टि जाहिर की थी और राज्य सरकार की मांग को ठुकरा दिया था। साल 2005 में वीरभद्र ने बंदरों के स्टरलाइज करने की मुहिम शुरू की। इस मुहिम में 20 करोड़ रूपए खर्च हुए थे और 1.98 लाख बंदरों को स्टरलाइज किया।
बंदरों के निर्यात पर हटे प्रतिबंध: सीपीआई
सीपीआई की किसान सभा ने जंगली जानवरों के आंतक के खिलाफ राज्य स्तरीय कैम्पेन चला रही है, जिसमें उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि बंदरों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया जाए। सीपीआई के नेता विजेंद्र मेहरा ने बताया कि किसानों से सम्बंधित ये समस्या पार्टी के कॉर मुद्दों में से एक है। और हमनें इस समस्या को अपने चुनाव मेनिफेस्टो में प्राथमिकता दी है।
बीजेपी गांवों में रखेगी एनिमल वॉचर
बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शर्मा ने कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए बीजेपी ने विजन डॉक्यूमेंट में इसे प्रस्तावित किया है। बीजेपी के विजन डॉक्यूमेंट कमेटी के सदस्य उमेश दत्त ने बताया कि पार्टी ने गांवों में जंगली जानवरों पर नजर रखने के लिए एनिमल वॉचर की पेशकश की है। साथ ही हम किसानों को खेतों में सोलर फैंसिग लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।