हिमाचल में पिछ्ले कल दोपहर से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रदेशव्यापी मांगों को लेकर पूरे प्रदेश भर में भूख हड़ताल कर रही थे। एबीवीपी काार्यकर्ताओं ने मांगों को लेकर जगह-जगह भूख हड़ताल की उसी के तहत शिमला के संजौली, कोटशेरा, और राजकीय कन्या महाविद्यालयों में भी भूख हड़ताल पर कार्यकर्ता बैठे हुए थे। यह भूख हड़ताल आज 12 बजे सभी इकाईयों में प्राचार्य के माध्यम से तोड़ी गई। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता पिछले कल से बिना कुछ खाए अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे ।
जिला संयोजक सचिन ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान समय में जिस प्रकार से प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं का सामना विद्यार्थियों को करना पड़ रहा है वह बहुत चिंता जनक है।जैसा कि हम देखते है कि विद्यालय, महाविद्यालय तो सरकार ने विभिन्न स्थानों पर खोल दिए है परन्तु अभी भी वहां पर मूलभूत सुविधाएं उप्लब्ध नही हो पा रही है। इसमें विद्यार्थी परिषद प्रदेश सरकार से यही मांग करती है कि प्रदेश में छात्र संघ चुनाव बहाल किए जाएं, प्रदेश विश्विद्यालय के परीक्षा परिणाम एवं पुनर्मूल्यांकन के परिणाम समय से घोषित किए जाएं।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर का निर्माण शीघ्र किया जाए, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्विद्यालय हमीरपुर और कलस्टर विश्विद्यालय मंडी में शिक्षकों और गैर शिक्षको की नियमित भर्तियां की जाए, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर एवं वानिकी एवं बागवानी विश्विद्यालय नैणी में अत्यधिक फीस वृद्धि वापस लिया जाए, हिमाचल प्रदेश के ICDEOL में 25 से 30 प्रतिशत फीस वृद्धि को वापस लिया जाए, सरकारी मेडिकल महाविद्यालय में आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाए और उपकरणों, डॉक्टरों, अध्यापको और स्टाफ की कमी को तुरन्त पूरा किया जाए और प्रदेश में आउटसोर्सिंग भर्तियों पर प्रतिबंध लगा कर नियमित भर्तियां की जाए।
जिला संयोजक सचिन ने बताया कि यदि इन सभी मांगो को समय रहते पूरा नहीं किया गया तो विद्यार्थी परिषद आने वाले समय मे उग्र से उग्र आंदोलन करेगी और यदि भिन्न भिन्न शिक्षण संस्थानों में फीस को कम नहीं किया गया तो विद्यार्थी परिषद पूरे प्रदेश के छात्रों को लामबंद कर के प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल देगी ।यदि इन मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो विद्यार्थी परिषद पुर्णतः शिक्षा बंद करने से भी परहेज नहीं करेगी। जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन होगा ।