सिलेंडर में गैस की जगह पानी मिलने से गैस एजेंसी राजगढ़ में वीरवार को हड़कप मच गया और सभी उपभोक्ता सिलेंडर तोल कर मांगने लगे । जिससे गैस प्लांट बद्दी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है । दरअसल हुआ यह है कि दूधम गांव के सुशील ने गैंस एजेंसी राजगढ़ से कुछ दिन पहले गैस सिलेंडर भरवाया था और जैसे ही उन्होंने घर पर खाना पकाने के लिए गैस सिलेंडर को चूल्हे पर लगाया, परंतु जब गैस नहीं जली। उन्होंने जैसे ही गैस के रेगुलेटर खोलकर सिलैंडर की पिन को दबाया और वहां से पानी की बौछार आने लग गई ।
सुशील का परिवार यह सब देखकर हैरान था और उन्होने गैस सिलेंडर को तुरतं गैस एजेंसी राजगढ़ ले आया । गैस एजेंसी में जब इसका वजन किया तो वह करीब 22 किलोग्राम निकला जबकि गैस सहित सिलेंडर का वजन तीस किलोग्राम होता है । बता दें कि इस प्रकार का यह पहला मामला नहीं है गैस एजेंसी राजगढ़ द्वारा गत तीन माह के दौरान उपभोक्तओं की शिकायत मिलने पर पानी से भरे 32 गैस सिलेंडर बद्दी गैस प्लांट को वापिस भेजे गए हैं। इसके अतिरिक्त गैस एजेंसी राजगढ़ का फोन किसी कर्मचारी द्वारा एटैंड न किए जाने वारे भी उपभोक्तओं में काफी रोष व्याप्त है ।
इस बारे करगानू पंचायत के कुलदीप शर्मा, कमलेश, प्रवीण सहित अनेक लोगों ने गैस एजेंसी पर फोन न उठाने का आरोप लगाया है। इनका कहना है कि गैस उपलब्धता संबधी सूचना न मिलने पर लोगों का राजगढ़ आने जाने में पूरा दिन खराब होता है । इसी प्रकार शहर के अजय कुमार, संदीप कुमार का आरोप है कि गैस एजेंसी द्वारा डोर डिलीवरी नहीं की जा रही है जबकि एजेंसी द्वारा मजदूरी की राशि चार्ज की जा रही है ।
दूसरी ओर पच्छाद युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र ठाकुर, सह मिडिया प्रभारी सुधीर ठाकुर, अनुज, दीपक व रामकृष्ण ने गैस सिलैंडर में पानी मिलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि गैस प्लांट बददी द्वारा जिस प्रकार लोगों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए । इनका कहना है कि एक ओर सरकार ने रातों रात रसोई गैस के दास करीब 147 रूपये प्रति सिलैंडर बढ़ा कर लोगों पर बोझ डाला गया है उससे प्रतीत हो रहा है कि भारत सरकार लोगों को अच्छे दिन दिखा रही है ।
गैस एजेंसी राजगढ़ के प्रभारी कुलदीप कुमार ने कहा कि अब तक 32 गैस सिलेंडरों में पानी होने के कारण वापस बद्दी भेजे गए है और गैस प्लांट अधिकारी को हर बार अवगत भी करवाया जाता है । उन्होने कहा कि गैस एजेंसी में जब वह स्वयं होते हैं तो वह उपभोक्ता का हर फोन एटैंड करते है परंतु फील्ड में जाने के दौरान यह परेशानी पेश आती है क्योंकि एजेंसी में सीमित स्टाफ है जिसमें से अधिकांश स्टोर में होते हैं ।