हिमाचल के सबसे बड़े हवाई अड्डे के विस्तार के मुद्दे पर कांगड़ा भी दिल्ली के शाहीन बाग में तब्दील होता नज़र आ रहा है। यहां क्या औरतें क्या बच्चे, युवा, नौजवान और क्या बुज़ुर्ग सब विस्थापन के डर से कांगड़ा एयरपोर्ट की ख़िलाफ़त में एकजुट हो चुके हैं। बाकायदा इसके लिए घंटो सड़कें जाम की जा रही हैं, कई मर्तबा पठानकोट-कांगड़ा मंडी हाईवे को जाम किया जा चुका है। भूख हड़तालें हो चुकी हैं और सरकार से एयरपोर्ट के विस्तार पर स्थिति साफ करने की मांग भी कर रहे हैं।
इतना ही नहीं अबकी बार एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोगों ने सरकार के ख़िलाफ़ लम्बा और बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी तक दे रखी है, जिसमें अगर कानून का उल्लंघन होता है तो उसे भी सरकार के माथे मढ़ने की तैयारियां की जा चुकी हैं।
दरअसल सरकार कांगड़ा एयरपोर्ट को कई तौर-तरीकों से विस्तृत करना चाहती है, फिलहाल इसकी लम्बाई साढ़े 14 सौ के करीब है। जबकि अब इसे 3 हजार 110 मीटर लम्बा करने का फ़ैसला किया गया है, चूंकि प्रदेशभर में एकमात्र कांगड़ा ही एक ऐसी जगह है। जहां एयरपोर्ट के विस्तार की संभावनाएं प्रबल हैं, इसके साथ ही कांगड़ा की सीमा पंजाब के पठानकोट एयरबेस और जम्मू एयरबेस से बेहद ही नज़दीक हैं।
सुरक्षा की लिहाज़ से केंद्र का सुरक्षा मंत्रालय भी इस एयरपोर्ट को हर नज़र से अपने लिए सुरक्षित मानता है और इसका विस्तार करवाना चाहता है। जिसके लिए बाकायदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कई बार केंद्र में रक्षा मंत्री समेत सम्बंधित मंत्रियों से भी लम्बी- चौड़ी वार्ता कर चुके हैं। बावजूद इसके एयरपोर्ट के नजदीक रहने वाले रिहायशी अब इस विकास को ख़ुद के विनाश से जोड़कर देख रहे हैं और सरकार से विस्थापन की जगह सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।
इन लोगों की मानें तो पौंग डैम के दौरान भी उनका विस्थापन हुआ, फिर एयरपोर्ट के निर्माण के दौरान फिर दूसरी बार विस्थापित हुए अब तीसरी बार फिर उन्हें यहां से निकालने की योजना बरकरार है। जो वो अपने विस्थापन की सही जगह सुनिश्चित न हो जाने तक बिलकुल मंजूर नहीं करेंगे। बाकायदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलकर उन्होंने इस बाबत अपनी मंशा भी ज़ाहिर कर दी है। फ़िलहाल इस मुद्दे पर अब कांगड़ा की दोनों पार्टियों की लीडरशिप जहां लोगों का समर्थन करके अपना वोट बैंक मजबूत कर रही है वहीं इस एयरपोर्ट के विस्तार का लाभ समझने वाले नेता इसे हरसम्भव प्रयास कर बनाना चाहते हैं।