जिला ऊना के मुख्यालय पर स्थित बच्चों के एक निजी अस्पताल प्रबंधन को दो बच्चों के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। बच्चों के परिजनों ने अपने बच्चों की मौत के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिमेवार ठहराया है। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और जिला प्रसाशन से न्याय की गुहार लगाई है। जानकारी के अनुसार शामिल खान निवासी पीपलू की माने तो 15 फरवरी को उसकी पत्नी ने 15 फ़रवरी को ऊना के एक निजी अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। लेकिन कुछ बीमार होने के चलते वह अपनी बच्ची को इलाज के लिए ऊना के नामी निजी अस्पताल में ले आये। जहां पर डॉक्टर ने उनको बच्चे के सही इलाज का भरोसा दिया।
सात दिन बच्ची को अस्पताल में उपचाराधीन रखा गया और गंभीर हालत में भी रेफर नहीं किया गया। डॉक्टर उनको बच्ची के ठीक होने का आश्वासन देते रहे लेकिन 22 फरवरी को उनको डॉक्टर ने बच्ची को रेफर कर दिया। जब बच्ची को पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचाया तो डॉक्टरों ने कहा कि उनकी बच्ची की मौत पांच घंटे पहले ही हो चुकी है। जिसे सुनकर उनके होश उड़ गए। परिजनों का आरोप है कि उनकी बच्ची की मौत ऊना निजी अस्पताल में ही हो गयी थी तो मरने के बाद रेफर क्यों किया गया।
वहीं, दूसरे मामले में कमलजीत निवासी हथलोण ने कहा कि उसकी पत्नी की डिलीवरी 15 फरवरी को हुई थी लेकिन उनके बच्चे की तबियत बिगड़ने पर वह ऊना के इसी नामी अस्पताल में आये। लेकिन चिकित्सक ने 7 दिन उनके बच्चे को इलाज के लिए रखा और 22 फरवरी को उनके बच्चे को रेफर कर दिया। उनके बच्चे की भी मौत हो गयी। जिसकी सारी जिम्मेवारी अस्पताल प्रसाशन की है। अगर डॉक्टर बच्चे का इलाज करने में असमर्थ था तो उसको उपचाराधीन क्यों रखा गया।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रसाशन ने जिस तरह बिल बनाये उन्होंने चुकाए भी। लेकिन उसके बावजूद भी उनके बच्चों की मौत हो गयी। मामला गर्माता देख पुलिस को भी मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने किसी तरह गुस्साए परिजनों को शांत किया। उधर, डीएसपी अशोक वर्मा ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है।