कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह के बाद हिमाचल हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आईडी बाली ने भी हिमाचल में भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की मांग उठाई है। आईडी बाली ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली वनस्पतियों में भांग की पैदावार प्रतिवर्ष सबसे अधिक होती है l इस वनस्पति का कैसे सही प्रयोग हो आजतक इस पर कोई गहन अध्ययन नहीं किया गया है l भांग को गलत रूप से इस्तेमाल करने पर जो नुक्सान होते है उनके प्रभाव में हमारे प्रशासक यह निष्कर्ष निकालते रहते हैं कि उन नुक्सानों से समाज को बचाने के लिए भांग की खेती को हर वर्ष नष्ट करना ही उचित है l हमारी यह सोच सही नहीं है हमे भांग की खेती करने की कानूनी मान्यता देनी चाहिए l
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि सरकार हर जिले में जहां भांग अधिक मात्रा में पैदा होती है मार्केटिंग केंद्र खोले और उन केन्द्रो पर किसानो से भांग खरीदी जाए जिसका किसानों को उचित मूल्य मिले इससे किसानो की आर्थिकी को मज़बूती और बढ़ावा मिलेगा l सरकार ऐसे मार्केटिंग केन्द्रो की स्थापना दूसरे देशों के साथ कोलैबोरेशन में भी कर सकती है l भांग में अद्वितीय औषधीय गुण हैं l
भांग को मार्केटिंग केन्द्रो में ही शोधन करके औषधीयों के प्रयोग योग्य बनाया जा सकता है
मार्केटिंग केन्द्रो का विकास एवं भांग का उचित इस्तेमाल बागवानी तथा कृषि विश्वविद्यालयों एवं आयुर्वेदिक और वन विभाग के विशेष्यज्ञों की टीमों की देख रेख में होना चाहिए l मार्केटिंग केन्द्रों के कैंपस में ही इस वनस्पति के उपयोग के लिए स्थाई अनुसन्धान केन्द्रो की स्थापना भी की जानी चाहिए जहां विश्व के अनुसन्धानकर्ता अनुसन्धान कर सकें ताकि इस वनस्पति का मानव कल्याण के लिए अधिक से अधिक इस्तेमाल हो सके l
धीमान ने कहा कि अनुसंधानो से यह सिद्ध हो चुका है कि भांग से अनेको बिमारियों के इलाज के लिए औषधियां तैयार की जा सकती हैं। जैसे सुजाक, ग्रहणी, धनुस्तंभ, विशूचिका, आन्त्रशूल, आमाशय की बीमारियां, उन्माद रोग, वृकशोध जन्य पीड़ा, राजयक्ष्मा, तमक शवास, मानसिक दुर्बलता, वात नाड़ियों की दुर्बलता, कैंसर आदि अनेको दूसरी बिमारियां l
उन्होंने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री आदरणीय राम लाल मारकन्डेय ने भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की जोरदार पैरवी की है और सरकार तुरंत इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगी l विशेष्यज्ञों की राय पर इसी वर्ष भांग की मार्केटिंग के केंद्र खोले जाएंगे तथा मार्केटिंग शुरू की जाएगी l मुझे विश्वास है कि ऐसा करने से हमारे किसानो की आर्थिकी का तेजी से विकास होगा और गलत रूप से हो रहे भांग के इस्तेमाल में भी काफी कमी आएगी l