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ऊना: लोगों की भूमि का मुआवजा न अदा करने पर रेलवे की संपत्ति हुई नीलाम

रविंद्र, ऊना |

ऊना के स्थानीय अतिरिक्त जिला जज की अदालत के आदेश पर जिले के कोटला कलां गांव के पटवार घर में शुक्रवार को रेलवे की संपत्ति की नीलामी की गई। इसमें उच्चतम बोली 17 लाख रुपये लगी है जो अनजोली के संजीव कुमार ने लगाई। बोली 10 लाख से शुरू हुई थी। करीब 58 कनाल भूमि की नीलामी हुई जिसमें पांच बोली लगाने वाले पहुंचे थे। तहसीलदार ऊना विजय राय इस कार्रवाई को पूरा कराने पहुंचे थे।

इसमें रेलवे की भूमि है, जिसमें रेलवे ट्रैक बना है और कुछ रेलवे की कालोनियों का हिस्सा है। इसके अलावा रेलवे लाइन की दोनों ओर की भूमि शामिल है। छह फरवरी को राजस्व विभाग की ओर से मुनादी कराई गई थी कि विभाग रेलवे की भूमि की नीलामी कराएगा। इसके लिए 24 मार्च को राजस्व महकमा रिपोर्ट अदालत में पेश करेगा।

दो दशक पहले अधिगृहित की गई थी भूमि

जिले में रेलवे लाइन से प्रभावित कई गांवों के लोगों की करीब दो दशक पहले भूमि रेलवे की ओर से अधिगृहित की गई थी। इस बीच कई लोगों ने रेलवे पर उचित मुआवजा राशि अदा न किए जाने पर अदालत में अपील कर दी थी। निचली अदालत ने निर्णय लोगों के हक में दिया था। रेलवे ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दे डाली। उच्च न्यायालय में भी अब दिलवां, ठठल और त्यूड़ी के प्रभावित लोगों के हक में निर्णय को बरकरार रखा था। एक निर्णय 2015 का है जबकि दो निर्णय 2018 के हैं। इन लोगों की मुआवजा राशि जो करीब साठ लाख बनती है, उसकी अदायगी नहीं हो पाई।

अदालत ने सख्ती दिखाते हुए राजस्व विभाग से रेलवे की संपत्ति को नीलाम करके प्रभावितों के मुआवजा राशि अदा करने को कहा है। यह भी कहा है कि रेलवे की जो भूमि जब्त की गई है अथवा चिन्हित की गई है इसे नीलाम करके उससे प्राप्त होने वाली राशि से ही प्रभावितों के मुआवजे की भरपाई की जाए। इस तरह ऊना के समीप कोटला कलां की भूमि के अलावा त्यूड़ी में भी रेलवे प्लेटफार्म और पटरी वाली कुछ हिस्से की भूमि की नीलामी की सूचनाएं पूरे क्षेत्र में जारी करके राजस्व विभाग ने अदालत के आदेश पूरे किए हैं।

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अदालत के आदेश पर रेलवे स्टेशन और ट्रेन भी हो चुके हैं जब्त

रेलवे लाइन ऊना से तलवाड़ा के भूमि अधिग्रहण के बाद कई प्रभावितों द्वारा कम मुआवजा मिलने पर अदालत में अपील की थी। अदालत ने इन लोगों की अपील को जायज ठहराते हुए लगभग चार गुना मुआवजा राशि बढ़ा दी थी। इस पर रेलवे की ओर से उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन वहां से भी रेलवे को राहत नहीं मिल पाई। ऐसे में करीब चार साल पहले ढाई करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि रेलवे प्रभावितों को समय पर अदा नहीं कर पाया था। अदालत ने उस समय भी ऊना के रेलवे स्टेशन को सील कर दिया था और कई रेल रूट प्रभावित हो गए थे। यहां तक कि हिमाचल एक्सप्रेस ट्रेन को भी जब्त करने के आदेश जारी किए गए थे। बाद में रेलवे द्वारा राशि अदा किए जाने पर अदालत ने इसे कुछ घंटों के बाद रिलीज कर दिया था।