हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने 6 मार्च को हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में पेश किए जाने वाले 2020-21 के बजट में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं। संघ के मुताबिक़ हिमाचल प्रदेश में 2018-19 के 41440 के कुल बजट में शिक्षा पर 7044 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया था जो कि कुल बजट का 17 फ़ीसदी था। इसी तरह 2019-20 के 44387.73 करोड़ के बजट में शिक्षा के लिए 7098 करोड़ का प्रावधान रखा गया। जिसमें कोई ज़्यादा वृद्धि नहीं हुई। जबकि दिल्ली सरकार ने 27 फ़ीसदी बजट शिक्षा पर रखा है। हिमाचल प्रदेश सरकार को केजरीवाल सरकार की तर्ज़ पर शिक्षा बजट पर बढ़ोतरी करनी चाहिए।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान ने कहा कि संघ की मांग है कि हिमाचल में भी शिक्षा पर कम से कम 25 फ़ीसदी बजट का प्रावधान रखा जाए। हर खण्ड स्तर पर कम से कम 5 आदर्श विद्यालय रेसिडेंशियल हो। 12 तक स्मार्ट क्लास का प्रावधान बनाएं जाएं। जिनमें सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं हों। शिक्षकों के लिए सेमीनार कम लगाएं जाएं।
शिक्षकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाए। शिक्षकों के लिए पेंशन का प्रावधान किया जाए। छठे वेतन आयोग को लागू किया जाए। अनुबन्ध शिक्षकों को 3 साल के बजाए 2 साल में नियमित किया जाए। एसएमसी व कंप्यूएटर शिक्षकों के लिए स्थाई नीति बनाई जाए। शिक्षक तबादला नीति पर भी विधानसभा में व्यापक चर्चा करने के बाद निर्णय हो।