प्रदेश में राज्यसभा के लिए बीजेपी का कौन सा चेहरा होगा। इसको लेकर एक बार फिर से विपिन परमार की अचानक हुई स्पीकर की नियुक्ति के बाद अब राजनीतिक चुप्पी सा माहौल बन चुक्का है। विपिन परमार को सीधे हाई कमान द्वारा स्पीकर बनाने की बात जब आई तो इतना स्पष्ट हो गया है की कहीं ना कहीं जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल की राजनैतिक गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं ही लेकिन खुद प्रधानमंत्री मोदी भी हिमाचल को लेकर काफी जागरूक रहते हैं। विपिन परमार की नियुक्ति इसको साबित भी करती नज़र आ रही है।
अब राज्यसभा के लिए बीजेपी के 2 मंत्री एक बार फिर चर्चा में है। जिनमें महेंद्र सिंह और सरवीण चौधरी का नाम चर्चा में है। सरवीण को लेकर लगातार चर्चाएं हैं। लेकिन महिला मंत्री होने का लाभ उन्हें बार-बार मिल रहा है और राजयसभा भेजने के लिए सरकार का ही एक गुट लगातार प्रयास कर रहे हैं। वहीं, महेंद्र सिंह को लेकर भी चर्चा गर्म है और ना सिर्फ सरकार से जुड़े लोग उनकी लगातार सिफारिश कर रहे हैं। बल्कि अंदर खाते कहीं ना कहीं संघठन की महेंद्र सिंह को राजयसभा के लिए जोर लगा रहा हैं।
लेकिन जगत प्रकाश नड्डा के साथ महेंद्र सिंह की नजदीकियां उन्हें इस स्थिति से बचा भी सकती हैं और ले जा भी सकती है। अगर नड्डा चाहेंगे तो इन सब में जो महत्वपूर्ण बात निकल कर आई है। उससे यह पता चला है कि महेंद्र सिंह भी कहीं ना कहीं राज्यसभा में जाने के लिए तैयार है। लेकिन वह उपचुनाव का टिकट अपने बेटे रजत ठाकुर को चाहते हैं और अगर जयराम ठाकुर और राजीव बिंदल उन्हें इस बात की सहमति दे देते हैं। तो महेंद्र सिंह आसानी से खुद को नॉमिनेट राज्यसभा के लिए करवा देंगे।
अगर हम भाजपा के नीति की बात करें तो यहां पर परिवारवाद को बिल्कुल भी अहमियत भाजपा इन दिनों नहीं दे रही है और इसका उदाहरण हाल ही में किशन कपूर को राज्य विधानसभा का टिकट देकर उसके बेटे को धर्मशाला से विधानसभा का टिकट नहीं देना है। ऐसे में यह कहना कि अगर महेंद्र सिंह राज्यसभा के लिए जाते हैं। तो उनके बेटे रजत ठाकुर को पक्के तौर पर भाजपा का टिकट मिल जाएगा ऐसी संभावनाएं बहुत कम नजर आ रही है। वहीं, तीसरा विकलप अमितशाह और मोदी है।
क्योंकि जो विकलप वहां से आएगा उसको लेकर कोई जबाव नहीं दे सकता है। अब देखना ये है की क्या फैसला राजयसभा को लेकर होता है। हालांकि इस बार कांगड़ा से उम्मीदवार होगा जिसका कयास लगातार लगाया जा रहा है और इस में राजीव भारद्वाज, इंदु गोस्वामी के इलावा सतपाल सत्ती के नाम पर भी चर्चा है।