बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने सरकार से नाहन जेल में जाने की अनुमति मांगी है। शांता कुमार का कहना है कि नाहन जेल उनके लिए एक तीर्थ है जहां उन्होंने अपने जीवन के 19 माह बिताए है। बहुत बड़ी साधना की और जेल के उसी कमरे में बैठकर चार पुस्तकें भी लिखी थी। नाहन जेल के उस समय के उनके साथीराधा रमण शास्त्री, मेहिन्द्र शोफत और श्यामा शर्मा भी इक्टठे हो रहे हैं। यदि उस समय के और हमारे साथी हो तो उन्हें भी बुला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि उन्होने जीवन के 85 वर्ष पूरे कर लिये हैं। होश संभालने के बाद लगातार 19 मास वह कहीं भी नहीं रहे। केवल नाहन जेल के उस कमरे में ही रहे हैं। उनके लिए वे कमरा एक आश्रम की तरह है। वहां जाकर उस कमरे की दीवारों का धन्यवाद करना चाहते हैं जिन्होंने 19 मास तक उन्हें संभाल कर रखा था। भारत में 1975 का आपातकाल एक ऐसा काला अध्याय है जब सारे देश को जेलखाना बना दिया गया।
जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई जैसे नेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को जेलों में डाल दिया गया था। जयप्रकाश नारायण ने अंग्रेजों की जेल तोड़ कर भी आजादी की लड़ाई लड़ी थी। लेकिन आजाद भारत की जेल में उन्हें बन्द करके देश का दुश्मन कहा गया था। विश्व के किसी लोकतंत्र में इस प्रकार आजादी का गला नहीं घोंटा गया था। याद रहे कि शांता कुमार किसी कार्यक्रम के दौरान 7 मार्च को सिरमौर के नाहन जा रहे हैं। इसके लिए चलते उन्होंने सरकार से ये अनुमति मांगी है।