हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं की लिस्ट तो जारी कर दी। लेकिन इस लिस्ट में दोनों ही जगह एक नाम ऐसा था। जो कि चर्चा का विषय बन गया। यहां अगर हम पहले भाजपा की बात करें तो यहां पर एक नाम विनोद ठाकुर के रूप में प्रदेश प्रवक्ता के तौर पर सामने आया है और यह वहीं नाम है। जो कि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए थे और चुनावों के बाद जब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने तो कांग्रेसी छोड़कर भाजपा में आ गए।
अब पार्टी ने इन्हें प्रवक्ता बनाया है तो कहीं ना कहीं इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की हार में इन का महत्वपूर्ण योगदान रहा और यहां पर जयराम सरकार ने उनके साथ एक तरफ जहां अपनी पुरानी दोस्ती को निभाते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी वहीं, दूसरी तरफ इसे धूमल के खिलाफ काम करने का इनाम भी माना जा रहा है। विनोद ठाकुर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पुराने मित्र हैं। इसलिए उनका नाम सरकार के भीतर भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चा लगातार चल रही है।
वहीं, दूसरा नाम कांग्रेस के प्रवक्ता दीपक शर्मा का है। जो कि पहले कांग्रेस पार्टी में थे फिर भाजपा में चले गए और अब जब कुलदीप राठौर प्रदेश के अध्यक्ष बने तो उनके साथ एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी में आ गए। वहीं, कांग्रेस पार्टी में आते ही इन्हें कुलदीप राठौर ने भी प्रदेश का प्रवक्ता बना दिया। इस तरह से दोनों ही प्रवक्ताओं ने अपनी पार्टी में वापसी की लेकिन वापसी तभी हुई जब पार्टियों की लीडरशिप में बदलाव हुआ।
दीपक शर्मा हमीरपुर जिला में ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू पूर्व अध्यक्ष के धुर विरोधी माने जाते हैं और चुनावों से पहले उन्हें भाजपा में बैठकर कड़ी चुनौती भी देते रहे। इस तरह से यह बात आमतौर पर चर्चा का विषय हो गई है कि अगर आपको पार्टी में किसी बड़े पर जाना है तो सीधे-सीधे जिम्मेदारी मिले या ना मिले इसकी तो कोई गारंटी नहीं लेकिन आया दूसरी पार्टी होकर आए तो कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाएगी इतना तो तय है।