वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार 1 अप्रैल से बहुत बड़ा फैसला लागू करने जा रही है। एक अप्रैल से केवल भारत स्टेज यानि बीएस-6 वाहनों का ही पंजीकरण किया जाएगा। 31 मार्च के बाद बीएस-4 वाहनों का पंजीकरण ही नहीं किया जाएगा। इस संबंध में वाहन डीलरों को पहले ही सूचित कर दिया गया है और उन्हें बीएस-4 वाहनों की बिक्री एवं पंजीकरण प्रक्रिया को 31 मार्च से पहले पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
कुल्लू जिला में भी डीलरों को बीएस-4 वाहनों की बिक्री एवं पंजीकरण को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डॉ अमित गुलेरिया ने बताया कि वाहन डीलरों से अपील की है कि वे 25 मार्च से पहले बीएस-4 वाहनों की बिक्री करके उनके दस्तावेज अपलोड कर दें। ताकि 31 मार्च तक इन वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण हो सके। उन्होंने कहा कि बिके हुए बीएस-4 वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया हर हाल में 31 मार्च तक पूरी हो जानी चाहिए। अगर इस अवधि में बीएस-4 वाहन का पंजीकरण नहीं पाएगा तो इसके लिए वाहन मालिक स्वयं जिम्मेदार होगा।
डॉ अमित गुलेरिया ने बताया कि वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 31 मार्च 2020 के बाद नए बीएस-4 वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पूरी तरह बंद करने के आदेश पारित किए हैं। अब देश भर में 31 मार्च के बाद बीएस-6 वाहन ही बिकेंगे। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि ये बीएस-6 वाहन बाजार में आ चुके हैं, इसलिए लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी।
BS-6 वाहनों से कम होगा वायु प्रदूषण
डॉ अमित गुलेरिया ने बताया कि बीएस-4 वाहनों से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन,ऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें निकलती हैं। डीजल और डायरेक्ट इंजेक्शन पैट्रोल इंजन से पार्टीकुलेट मैटर यानि पीएम ज्यादा पैदा होता है। इनके ईंधन में सल्फर की मात्रा भी 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तक होती है।
जबकि, बीएस-6 में यह 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम होती है। बीएस-4 की तुलना में बीएस-6 में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। डीजल इंजन में पार्टीकुलेट मैटर 82 प्रतिशत तक कम होगा। बीएस-4 में पैट्रोल और डीजल इंजन के लिए अलग-अलग मानक थे। बीएस-6 में यह अंतर बहुत कम हो जाएगा।