हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजटसत्र में प्रश्नकाल में ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने पूछा प्रदेश में ऐसे कितने विद्यालय हैं। जिनमें बच्चों की संख्या 20 बच्चों से कम हैं। क्या सरकार इन स्कूलों के समायोजन का विचार रखती है।
जबाब में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि प्रदेश में 4 हज़ार 994 राजकीय प्राथमिक स्कूल, 1 हज़ार 92 राजकीय माध्यमिक पाठशालाएं, 32 उच्च औऱ 9 राजकीय वरिष्ठ माद्यमिक पाठशालाएं है। जहां पर छात्रों की संख्या 20 से कम है। हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्रदान सरकार का दायित्व है।
इसके समायोजन या बन्द करने का कोई विचार नहीं है। पिछले साल 80 स्कूलों में एक भी बच्चा नहीं रहा वह अपने आप भी बन्द हैं। निज़ी स्कूलों में बच्चों को प्री प्राइमरी में लिए जाता है। जिसकी वजह से बच्चों की संख्या कम ही रही हैं। अब सरकार ने 3 हज़ार 700 स्कूलों में प्री प्राइमरी शुरू की गई परिणामस्वरूप स्कूलों में 50 हज़ार बच्चों ने दाखिला लिया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत डेढ़ किलोमीटर के भीतर स्कूल बंद नहीं किए जा सकते। उन्होंने ये भी कह दिया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने बिना सोचे समझे स्कूल खोल दिए। इस पर किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने आपत्ति जाहिर की ओर कहा कि एक तरफ शिक्षा मंत्री शिक्षा की अनिवार्यता की बात कह रहें है औऱ दूसरी तरफ़ पिछली सरकार द्वारा खोले गए स्कूलों पर सवाल उठा रहे है। शिक्षा मंत्री स्पष्ट करें।
इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि "चोर की दाढ़ी में तिनका" इस पर विपक्ष बिफ़र गया औऱ इस कहावत को असंसदीय क़रार देते हुए इसको हटाने की मांग की। इसी पर सदन में विपक्ष नारेबाज़ी भी करने लगा। मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री के बचाव में खड़े हुए और कहा कि ये कहावत असंसदीय नहीं है। इस पर आपत्ति करने की ज़रूरत नहीं है। पहले भी इस तरह कहावतें सदन में होती रही हैं। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस पर कोई व्यवस्था दे व मंत्री को सरंक्षण न दें।
मामला बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहावत को कार्यवाही से हटाने का निर्णय लिया उसके बाद विपक्ष शांत हो गया औऱ सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पड़ी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि 50 फीसदी कॉलेज पांच सालों में कांग्रेस सरकार ने खोले। 21 कॉलेज तो एक साल के भीतर ही खोल दिए। जिनके लिए बजट तक का प्रावधान नही रखा। प्रदेश में 129 कॉलेज हैं। जिन स्कूलों में कम बच्चे है यदि उनको बन्द करना होगा तो ऐसे बच्चों की फ्री बस सुविधा प्रदान करेंगे।