चार दिन तक बजट के अनुमानों पर चली चर्चा के अंतिम दिन मुख्यमंत्री ने विस्तृत जबाब दिया। इस चर्चा में कुल 50 सदस्यों ने भाग लिया। जिसमें भाजपा के 30 सदस्यों कांग्रेस के 18 कांग्रेस सदस्यों , 1सीपीआईएम और 1 निर्दलीय सदस्य ने भाग लिया। 50 सदस्यों ने 15 घण्टे 30 मिनट तक चर्चा में भाग लिया। प्रदेश को चलाने के लिए कर्ज़े की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने गृहणी योजना में 2 लाख 76 हज़ार कनेक्शन दिए, खेत संरक्षण योजना, मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना पर 28 करोड़ खर्च किए, कौशल विकास में 45 हज़ार लोगो को लाभ दिया। हिम केअर में 68222 लाभार्थियों पर 63 करोड़ खर्च किया। 37 करोड़ तो मुख्यमंत्री राहत कोष से ही खर्च किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सहारा योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना में 5 लाख से ज्यादा लोगों को लाभ दिया जा रहा है। 189 जनमंच आयोजित किए जिनमें 47 हज़ार से ज्यादा शिकायतें आई जिनमें से 43 हज़ार से ज्यादा का समाधान भी हुआ। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 37 हज़ार से ज्यादा शिकायतों का निबटारा किया गया। इस बजट में 25 नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है। हिमाचल में 10 हज़ार गरीबों को नए मकान बना कर देंगे। शिक्षा की गुणवत्ता पर बल दिया जाएगा। हवाई सेवा विस्तार किया जाएगा। विपक्ष का ये कहना गलत है कि बजट में कुछ नहीं है।
47 हज़ार करोड़ का कर्ज सरकार को विरासत में मिला। सरकार ने बाज़ार से 1617 करोड़ कर्जा कम लिया। 2 वर्षो में 6442 करोड़ ऋण वापस किए जाने वांछित है। धूमल सरकार ने 7464 करोड़ का कर्जा लिते जबकि काग्रेस सरकार ने पांच साल में 19195 करोड़ लिया। 49131 करोड़ के मौजूदा बजट में लोगों को लाभ देंगे। दो सालों में 30524 करोड़ का अनुदान केंद्र से मिला। जो कि कांग्रेस के अंतिम दो सालों में 26 हज़ार करोड़ था। मुख्यमंत्री के आंकड़ो पर विपक्ष ने ऐतराज़ जताया और पूछा कि प्रदेश में विकास दर कैसे गिरी। विरोधस्वरूप नारेबाजी करते हुए विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।