दुनिया आज कोरोना में कहर से त्रस्त है। दुनिया भर में कोरोना की चपेट में हज़ारों लोग आ चुके है। भारत में भी कोरोना के मरीज़ लगातार बढ़ रहे है। कोरोना का इलाज़ अभी तक सम्भव नहीं है। हिमाचल में हालांकि अभी तक कोई भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया है। जो 593 लोग कारोना प्रभावित देशों से आए हैं। उनकी निगरानी की जा रही है। इनमें से जिन लोगों को शर्दी ज़ुखाम के लक्षण मिले उनकी जांच रिपोर्ट भी नेगटिव पाई गई है। बाबजूद इसके एतिहात के तौर पर प्रदेश सरकार ने हिमाचल के सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
लेकिन क्या शिक्षण संस्थानों के बन्द करने से कारोना का ख़तरा टल गया है। ऐसा नही हैं क्योंकि हिमाचल में सबसे ज़्यादा नेपाल और तिब्बत के लोग आते जाते रहते है। इन दोनों ही देशों में कारोना फैला हुआ है। नेपाल से अभी भी टनकपुर बस नेपालियों से भर कर आ रही है। जिसमें कोई निगरानी नहीं रखी जा रही है। यदि नेपाल के रास्ते हिमाचल में कारोना दस्तक देता है तो फ़िर क्या होगा। क्योंकि शिमला की बागवानी से लेकर अन्य काम गोरखों के कंधों पर चलता है। ये नेपाली शर्दियों के बाद शिमला लौटने लगे हैं।
सेनेटाइजर करने का तो हिमाचल क्या पूरे भारत में ही कोई आमला नहीं है। जिस तरह चीन जैसे देशों में सेनेटाइजर मशीनें काम कर रही हैं। चीन में तो तीन हफ़्ते में कई मंज़िला अस्पताल बन जाता है। इटली जैसे देश ने तो कारोना से निबटने के लिए कानून सख्त कर दिए है। यहां तो सेनेटाइजर और मास्क तक नहीं मिल रहे हैं। भारत इस आपातकाल की स्थिति में कारोना से कैसे निबट पायेगा ये बड़ा सवाल है? हां ऐसी स्थिति में ही देश औऱ देश के लोगों के धैर्य की परीक्षा होती है।