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एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत कुल्लू जिला में हुई 481768 लोगों की स्क्रीनिंग: डीसी

समाचार फर्स्ट डेस्क |

डीसी कुल्लू डॉ. ऋचा वर्मा ने बताया कि कोविड-19 के दृष्टिगत जिला में चलाई गई एक्टिव केस फाइंडिंग कैम्पेन के अंतर्गत जिला के सभी 457982 लोगों के अलावा यहां रह-रहे बाहरी लोगों सहित कुल 4,81,768 लोगों की स्क्रीनिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए कुल 479 टीमों का गठन किया गया था, जिनमें स्वास्थ्य, आयुर्वेद तथा महिला एवं समाज कल्याण विभाग के कुल 960 कर्मचारियों की सेवाएं ली गई। कुछ टीमों में शिक्षा विभाग का भी सहयोग लिया गया। प्रत्येक टीम ने अपने-अपने क्षेत्र में एक दिन में 30 घरों को कवर करके इस बड़ी जिम्मेवारी को अंजाम तक पहुंचाया। डीसी ने अभियान की सफलता के लिए इन सभी कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया है।

ऋचा वर्मा ने बताया कि जिला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा रेंडम सैंम्पलिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह सुनिश्चित बनाने के लिए कि जिला कोरोना मुक्त है, इसके लिए जिला के विभिन्न भागों से क्रमवार सैम्पल लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत बुधवार को कुल्लू अस्पताल से पांच नमूने एकत्र करके जांच के लिए टाण्डा मेडिकल कॉलेज भेजे गए, जबकि वीरवार को जरी ब्लॉक, तेगू बेहड़, गढ़सा तथा क्षेत्रीय अस्पताल से 10 नमून एकत्र करके टाण्डा मेडिकल अस्पताल भेजे गए। उन्होंने कहा कि हर रोज किसी न किसी भाग से नमून एकत्र करके जांच के लिए भेजे जाएंगे और यह कार्य तब तक चलेगा जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि जिला पूरी तरह से कोरोना मुक्त है।    

सोशल डिस्टेंसिंग को अनसुना करना पड़ सकता है मंहगा

उपायुक्त ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग एक कारगर उपाय है। इसे अनसुना करना मंहगा पड़ सकता है और व्यक्ति कभी भी संक्रमित हो सकता है। सोशल डिस्टेंसिंग सर्दी, जुखाम व खांसी से ग्रसित व्यक्ति से भी आपका बचाव करती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि हर हालत में सामाजिक दूरी को प्राथमिकता दें। कोशिश की जानी चाहिए कि लोग अपने घर से बाहर न निकले और यदि आवश्यक ही है तो केवल एक व्यक्ति बाजार तक आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए आए। उन्होंने कहा हालांकि कुल्लू जिला के लोग शासन व प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी किए जा रहे दिशा-निर्देशों की इमानदारी के साथ पालना कर रहे हैं।

बचाव में ही बचाव है, मास्क का करें प्रयोग

डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि अच्छा-भला दिखने वाला व्यक्ति भी कोरोना पाॅजीटिव हो सकता है। उस व्यक्ति को स्पष्ट लक्षण दिखने तक उस व्यक्ति को स्वयं भी पता नहीं होता और जब तक पता चलता है तब तक वह व्यक्ति कईयों को संक्रमित कर चुका होता है। अभी तक पाए गए कोरोना पॉजीटिव व्यक्तियों की वजह से अनेक अन्य व्यक्ति भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसलिए मास्क पहनकर घर से बाहर निकलना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कोई भी नहीं जानता कि बाहर कौन सा व्यक्ति कोरोना को लेकर घूम रहा हो और आप ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आ जाएं। इसलिए बचाव में ही बचाव है। मास्क का प्रयोग कोरोना के लक्षण वाले व्यक्ति तथा दूसरे सभी व्यक्तियों के लिए नितांत उपयोगी है।  

उपायुक्त ने कहा कि लॉकडाउन 0.2 में लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। लोगों को घरों में बने मास्क का प्रयोग करने की भी सलाह दी गई है। कॉटन के कपड़े को नाक और मुंह पर ओढ़ कर भी खेतों व बागानों में किसान काम कर सकते हैं। मास्क को हर रोज अच्छे से धोएं और इसे लगाने के बाद हाथ से न छूए। उन्होंने लोगों से कहा कि गांव में भी बेवजह सड़कों पर न निकले, इससे आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। इस संबंध में लाउड स्पीकरों के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने स्थानीय लोगों से यह भी अपील की है कि यदि उन्हें किसी अनजान अथवा बाहरी राज्य से आए व्यक्ति का पता चलता है तो तुरंत इसकी सूचना जिला प्रशासन के साथ सांझा करें।