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दिल्ली से लॉक डाउन में शिमला पहुंचने पर सवाल, फ़िर शाली टिब्बा घूमने निकल गए शानन

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल में अपनी सेवाओं के दौरान विवादों में रहे पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव पर लॉक डाउन की अवहेलना के आरोप है। उनके ऊपर दिल्ली से शिमला आने और फिर परिवार तथा रिश्तेदारों के साथ घूमने का मामला दर्ज हुआ है। जिले के थाना सुन्नी में खटनोल के नजदीक पुलिस ने दो गाड़ियों को जब्त किया है। गाड़ियों में सवार करीब 8 लोगों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया गया है। इसमें एक गाड़ी में पूर्व सेवानिवृत्त आईएएस अफसर दीपक शानन थे।

पुलिस के मुताबिक स्थानीय लोगों ने सूचना दी कि कोरोना महामारी के बीच यहां दो गाड़ियां शाली टिब्बा में पहुंची हैं। पुलिस पूछताछ में जो होटल मालिक इनको घुमाने ले गया उसके मुताबिक इनके पास परमिशन है। लेकिन इस परमिशन पर भी सवाल उठ रहे हैं।

डीसी शिमला ने बताया कि इन लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई है औ जांच चल रही है। इस बात की भी जांच चल रही की इनको घूमने की परमिशन किसने दी। फ़िलहाल पुलिस ने दोनों गाड़ियों को जब्त कर लिया है। इनमें पूर्व आईएएस अफसर दीपक शानन समेत 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। लॉक डाउन के पश्चात इनके परिवार के सदस्य दिल्ली से शिमला मशोबरा पहुंचे। परमिट किसने और किस आधार पर दिया गया? स्थानीय लोग ये बताते है कि हरियाणा की गाड़ी में भी उनके घर लोग पहुंचे है और उनके स्टे होम में ठहरे हुए है। ये कैसे पहुंचे ये भी बड़ा सवाल है?

इतना ही नहीं लॉक डाउन में दो एमपी और अन्य अफसरों के भी हिमाचल आने की खबर है। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है इस पर भी सवाल है। कूमारसैन में पुलिस 5 लड़कों को पकड़ती है और उनको गिरफ्तार कर लिया जाता है। दूसरी तरफ पूर्व अफ़सर अवहेलना कर रहे हैं लेकिन उनपर किसी तरह की कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। ये हम नहीं बल्कि प्रदेश के वह लोग कह रहे हैं जिनके बच्चे या वे स्वयं लॉक डाउन में फंसे हैं या कर्फ़्यू उलंगण में पुलिस की कार्रवाई का शिकार हुए हैं। यह डबल स्टैंडर्ड क्यूं..??

शानन के साथ विवादों का पुराना रिश्ता है। उन पर ऐसे आरोप भी लगे हैं कि इनका मकान मशोबरा के पास गांव पुरानी कोठी में है जो धारा 118 के तहत अनुमति लेकर बनाया गया। लेकिन मकान का ग़ैर क़ानूनी रूप से homestay/guest house रूप में प्रयोग होता रहा। इसमें लंबे वक्त तक क़ानून की अवहेलना होती रही । जब शानन ने खुद वित्त सचिव राजस्व थे। इतना ही नहीं इन्होंने अपने मकान निर्माण के लिए टीडी पर भी लिए जिसके हक़दार सिर्फ़ स्थानीय लोग होते है। पंचायत प्रधान से झूठा प्रमाण पत्र लेकर वह स्थानीय वाशिन्दे बन बैठे। ऐसे आरोप उन पर लग चुके हैं ।

इसमें भी हैरानी की बात ये है कि यदि वे स्थानीय बाशिंदे थे तो उनको 118 की अनुमति क्यों लेनी पड़ी? जो पेड़ लिया उसकी कीमत 2 लाख थी जो कि शानन ने 2 रुपए में लिया (प्रमाण संलग्न है)। सेवानिवृत्त होने के बाद सभी नियमों को ताक पर रखकर अध्ययन के नाम पर छुट्टियों के 4 से 5 लाख रुपए ले लिए। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री को गुमराह करने गैरकानूनी तरीके से ये किया गया। HPCA मामले में IAS दीपक शानन को आरोपी बनाया गया था। उन पर गेस्ट हाउस के स्थान पर HPCA को होटल बनाने की अनुमति दिए जाने का आरोप लगा था।

ये वे 2 एफआईआर है जो शानन और उनके साथ घूमने गए लोगों के ख़िलाफ़ हुई हैं। इसमें पहला नाम अनिल वालिया का है जो होटल मालिक है। इसके साथ दूसरा नाम साक्षी, अनिरुद्ध वालिया, गौरव, अरुण मलिक, दीपक श़ानन, महादेव मल्होत्रा और जयंती शानन के नाम शामिल हैं।