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छात्र अभिभावक मंच ने CM को लिखी चिट्ठी, मार्च से मई की फीस माफ करने की उठाई मांग

पी. चंद, शिमला |

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ातरी पर रोक लगाने और मार्च से मई महीने की फीस माफ करने की मांग उठाई है। इस विषय को लेकर छात्र अभिभावक मंच ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कोरोना संकट के दौरान अभिभावकों को आ रही परेशानियों से मुख्यमंत्री को अवगत करवाते हुए कहा कि कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन के बीच फीस बढ़ोतर वापस लेना और मार्च से मई तक की फीस माफ करना बहुत अनिवार्य हो गया है। मंच ने मुख्यमंत्री से तुरंत इस विषय पर हस्तक्षेप करने की मांग रखी है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में छात्र अभिभावक मंच ने लिखा " उम्मीद है कि सरकार जनता के सहयोग से जल्द ही इस महामारी पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त कर लेगी। कोरोना महामारी के कारण प्रदेश की तमाम जनता एक तरफ महामारी के गंभीर खतरे से त्रस्त है। वहीं, दूसरी ओर इस महामारी से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक संकट ने जनता का सुख चैन छीन लिया है। लोग सामाजिक-आर्थिक रूप से भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। प्रदेश की जनता का एक बड़ा हिस्सा निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 5 लाख 13 हज़ार छात्र और उनके लगभग 8 लाख अभिभावक इस संकट की घड़ी में अन्य तबकों की तरह भारी समस्याओं से जूझ रहे हैं। प्रदेश की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत हिस्सा ये 13 लाख से ज़्यादा लोग निजी स्कूलों की भारी फीसों के बोझ का सामना कर रहे हैं व इनकी अदायगी हेतु बेहद संकट की स्थिति में हैं।

छात्र अभिभावक मंच इस संकट की घड़ी में प्रदेश सरकार से फीस बढ़ोतरी और मार्च से मई 2020 की फीस माफी के विषय पर तुरन्त हस्तक्षेप की मांग करता है। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते यह फीस बढ़ोतरी वापस लेना और मार्च से मई 2020 की फीस माफ करना बेहद अनिवार्य हो गया है क्योंकि अभिभावक इस संकट की स्थिति में भारी आर्थिक परेशानी में हैं। प्रदेश के 2712 निजी स्कूलों में इस समय पांच लाख तेरह हज़ार तिहत्तर छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह प्रदेश के कुल विद्यार्थियों का छत्तीस प्रतिशत है। इस तरह इस विकट परिस्थिति में निजी स्कूलों में की गयी आठ से बीस प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी व आय के साधनों के अभाव में मार्च से मई 2020 का फीस भुगतान करना असहनीय हो गया है क्योंकि इन पांच लाख से ज़्यादा अभिभावकों में से लगभग सत्तर प्रतिशत अभिभावक मजदूर,आउटसोर्स कर्मचारी, छोटे दुकानदार, टैक्सी संचालक, कारोबारी,होटल संचालक आदि के रूप में कार्यरत हैं जिनके आय के साधन लॉकडाउन और कर्फ्यू से बिल्कुल तबाह हो गये हैं। इस से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र और उनके अभिभावक बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

महोदय, उच्चतर शिक्षा निदेशक हिमाचल प्रदेश ने 5  दिसम्बर 2019,18 जनवरी व 12 मार्च 2020 को तीन पत्र अधिसूचनाएं जारी करके निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाई थी। उन्होंने सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि बिना अभिभावकों के जनरल हाउस के कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। किसी भी निजी स्कूल ने जान बूझकर कोई भी जनरल हाउस नहीं किया व जनरल हाउस की इजाज़त के बगैर ही शिक्षा निदेशक के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए आठ से बीस प्रतिशत फीस बढ़ोतरी कर दी। ऐसे समय में जब सबके आय के साधन या तो खत्म हो गए हैं या फिर उनमें कटौती हो गयी है तब इस हज़ारों रुपये की फीस बढ़ोतरी का कोई तुक नहीं बनता है। शिमला शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी से ही निजी स्कूल एक वर्ष में पैंतालीस लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये की ज़्यादा आमदनी करेंगे। जहां यह फीस बढ़ोतरी आठ प्रतिशत से अधिक है वहां पर मुनाफे की दर और ज़्यादा है। निजी स्कूलों द्वारा पिछले वर्ष 18 मार्च,8 अप्रैल व 4 मई को शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए गए तीन पत्रों के अनुसार पिछले वर्ष वसूली गयी ज़्यादा फीस का एक हिस्सा अभिभावकों को वापिस देना था या फिर अगली किश्त में उसे सम्माहित करना था परन्तु प्रति अभिभावक हज़ारों रुपये की वह  राशि भी किसी अभिभावक को लौटाई नहीं गयी।

महोदय, निजी स्कूलों की मनाफाखोरी और संवेदनहीनता की हद यह है कि ऐसे संकट काल में भी कई निजी स्कूलों ने फीसों को ऑनलाइन जमा करने के फरमान जारी कर दिए हैं। पिछले कल ही शिमला के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल ने फीसों को ऑनलाइन जमा करने के संदेश अभिभावकों को भेज दिए हैं। इस स्कूल ने आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी मार्च के महीने में पहले ही कर दी थी जिसके अनुसार मार्च से मई 2020 की पहली तिमाही में लगभग 19 हज़ार की राशि जमा करने का अभिभावकों को संदेश कुछ दिन पहले ही भेजा गया था। परन्तु 24 अप्रैल 2020 को इस 19 हज़ार की राशि को बढ़ाकर लगभग 26 हज़ार रुपये जमा करने का संदेश अभिभावकों को भेज दिया गया। पहले से ही की गयी 8 प्रतिशत की फीस बढ़ोतरी के अलावा 15 प्रतिशत की इस  फीस बढ़ोतरी ने अभिभावकों के होश उड़ा दिए हैं। यह खुली मनमानी व लूट है। एक तरफ लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण लोगों के आय के साधन बिल्कुल खत्म हो गए हैं और दूसरी ओर निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में भी भारी फीस वृद्धि करके भारी फीसें वसूलने पर अड़े हुए हैं व चांदी कूट रहे हैं। आपसे आग्रह है कि आप उच्चतर शिक्षा निदेशक द्वारा जारी की गई अधिसूचनाओं को लागू करवाने व उसकी अवमानना करने वालों पर कठोर कार्रवाई अमल में लाएंगे। आशा है कि आप तुरन्त इस संदर्भ में उचित कार्रवाई अमल में लाएंगे और छात्रों व अभिभावकों को न्याय प्रदान करेंगे।"