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शिमला में पहुंच वाले लोगों के बन रहे कर्फ्यू पास, आम जनता की नहीं कोई देख-रेख: माकपा

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माकपा की शिमला शहरी कमेटी ने कर्फ्यू पास बनाने मे शिमला जिला प्रशासन की कडी निंदा की है। माकपा नेता बलबीर पराशर का आरोप है कि प्रशासन द्वारा आम जनता की सुविधा देने के लिए कर्फ्यू पास बनाने के लिए व्हाट्सएप नंबर और ई-लिंक तो जारी किया है। लेकिन कर्फ्यू पास मात्र चंद पंहुच वाले लोगों के ही बनाए जा रहे हैं।

इससे पहले भी शिमला मे मजदूरों को लॉकडाऊन मे पेश आ रही समस्याओं को लेकर जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर सीपीआईएम विधायक साथी राकेश सिंघा को धरने पर बैठना पडा था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने मात्र कश्मीरी मजदूरों को वापस कश्मीर जाने की अनुमति दी थी। ये भी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि लॉकडाऊन हुए एक महीने से ज्यादा हो गया लेकिन प्रशासन और सरकार ने इन्हें घर पंहुचाने मे कोई मदद नहीं की। मजबूरी में इन मजदूरों को खस्ताहाल आर्थिक स्थिति के बावजूद बस किराए से 3 गुणा अधिक खर्च कर स्वयं जम्मू बार्डर तक पंहुचने की व्यवस्था करनी पड़ी।

माकपा नेता ने कहा कि शिमला प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां पर हजारों की संख्या मे छात्र या तो अध्ययन कर रहे हैं या फिर प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। हजारों लोग निजी क्षेत्र मे कार्यरत हैं और बहुत से अपना रोजगार करते हैं। अचानक किए गए लॉकडाउन के कारण आज विपरीत परिस्थिति मे रहने को मजबूर हैं और अपने घर जाना चाहते हैं। सरकार और प्रशासन द्वारा जारी किए गए व्हाट्सएप नंबर तथा ई-लिंक पर किये आवेदनों को तुंरत बिना कारण रद्द किया जा रहा है। मात्र कुछ पंहुच वाले लोगों को पास जारी किए जा रहे हैं।

अभी हाल ही में प्रदेश सरकार ने घोषणा की थी कि कृषि क्षेत्र मे काम करने के लिए पास दिए जायेंगे। हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों मे आजकल फसल काम चल रहा है। आम जनता व छात्र शिमला से फसल के काम के लिए अपने घर जाना चाहते हैं, लेकिन उनके आवेदनों को अस्वीकार किया जा रहा है। पार्टी प्रदेश सरकार और प्रशासन से मांग करती है कि अपने घरों को जाने के लिए पास बनवाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाये। आवेदक को उसके आवेदन को रद्द करने के कारण बताया जाये। कर्फ्यू पास बनाने मे प्रशासन पिक एंड चूज की व्यवस्था को समाप्त करे।