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ऑर्डर के साथ पौढ़ी से लौटे किसान, करसोग प्रशासन ने घर से वापस भेजा गढ़वाल

समाचार फर्स्ट डेस्क |

लॉकडाउन का दौर चल रहा है । ये दौर देर सबेर खत्म हो ही जायेगा । जीवन भी दोबारा सामान्य हालत में आ जायेगा ।  लेकिन करसोग के रहने वाले किसान 55 वर्षीय विक्रम सिंह रावत के लिए, ये दौर कभी न भूलने लायक दौर रहेगा । कोरोना के इस दौर में उन्होंने ऐसे मंजर का सामना किया जो दर्दनाक था औऱ अपमानजनक भी । उन्हें आधी रात को धर से निकाल दिया गया ।

विक्रम सिंह रावत उत्तारखंड के पौड़ी गढ़वाल में लॉकडाउन के दौरान फंस गये थे । वो वहां उत्तराखंड सरकार के निमंत्रण पर किसानों को ट्रेनिंग देने के लिये गये थे । इस स्थान पर वो 5 अप्रैल के बाद से ही रुके हुए थे । उन्हें एक रेस्ट हाउस दिया गया था । जहां उनके साथ 4 ओर लोग थे ।

जब लॉकडाउन को बढ़ाया गया, उन्हें जिला प्रशासन से वापस लौटने के बारे में बताया क्योंकि उनके गांव में भी उनके काम का नुकसान हो रहा था । केंद्रीय गृहमंत्रालय के गाइडलाइंस में भी किसानों को राहत देने की बात कही गयी थी ।

पौड़ी गढ़वाल प्रशासन से इजाजत के बाद 22 अप्रैल 2020 को अपने  गांव आते है । गांव आने से पहले पंचायत प्रधान को जानकारी भी देते हैं । घर पहुंच कर हम कॉरंटिन भी हो जाते हैं । 23 अप्रैल को एसडीएम का सम्मन लोकल पुलिस के जरिये दिया जाता है कि आपने सरकारी गाइडलाइंस का अनुपालन नहीं किया इसलिये आपकी गिरफ्तारी हो सकती है । एसडीएम ने उन्हें बताया कि उनके पास दो ही रास्ते हैं गिरफ्तारी या पौढी गढवाल वापसी ।  रावत के पास कोई उपाय नहीं थे , सिवाय वापस जाने की । 24 अप्रैल को उन्हें स्थानीय पुलिस सीमा के बाहर तक छोड कर आती है । इस मामले में जब मंडी डीसी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि क्योंकि उन्होंने स्थानीय प्रशासन से इजाजत नहीं थी । इसीलिये उन्हें वापस भेजने का फैसला लिया गया ।

इस मामले में नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाई की जानी चाहिए ।