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CLP ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी, सरकार पर कोविड फंड का दुरूपयोग करने के लगाए आरोप

पी. चंद, शिमला |

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार द्वारा कोविड फंड के दुरुपयोग करने के आरोप लगाए हैं। इस मामले को लेकर उन्होंने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेपर कर उचित कार्रवाई की मांग की है। राज्पाल को लिखे पत्र में मुकेश अग्निहोत्री ने लिखा है कि 'आदरणीय राज्यपाल महोदय जैसे कि आप जानते ही हैं कि कोरोना आज पूरे विश्व में एक भीषण महामारी का रूप धारण कर चुका है। कोरोना के कारण चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है। कोरोना के कहर के इस दौर में मैं आपका ध्यान में कुछ बेहद संवेदनशील मामले लाना चाहता हूं। आपसे आग्रह है कि तत्काल हस्तक्षेप करके इन मामलों में उचित कार्रवाई करें।

1. महोदय, हिमाचल प्रदेश सरकार कोविड फंड का दुरुपयोग कर रही है। सरकार ने नियमों को धता बताते हुए कोविड के लिए आए पैसे में से क़रीब पौने दो लाख रुपये के मोबाइल फोन ख़रीदे हैं। सवाल है कि क्या मोबाइल फोनों की खरीद जरूरी थी ? क्या प्रदेश सरकार के अफसर आपदा की इस घड़ी में अपने फ़ोन इस्तेमाल नहीं कर सकते थे? उनके तर्क समझ से बाहर हैं।

2. इसी तरह प्रदेश में सेनेटाइजर की ख़रीद में कथित तौर पर घपला हुआ है। पता चला है कि सेनेटाइजर निर्धारित दरों से ऊंची कीमत पर ख़रीदा गया है। ऐसी भी चर्चा है कि पीपीई किटों के नाम एक जगह रेनकोटों की सप्लाई की गई है। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी चूक है। यह कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के साथ सरासर धोखा है। इस मामले की फौरन जांच होनी चाहिए।

3. आपदा की इस घड़ी में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज, शिमला के प्रिंसिपल डॉ. मुकंद को हटा दिया गया। डॉ. मुकंद विख्यात डॉक्टर और ईमानदार व्यक्ति हैं। सरकार को बताना चाहिए कि वैश्विक महामारी के समय में प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के प्रमुख को क्यों और किसके दबाव में हटाया गया? कहीं इसकी पृष्ठभूमि में कोई बड़ी ख़रीद तो नहीं, जिसे सत्तारूढ़ दल का कोई नेता अपने चहेतों को दिलवाना चाहता है? यह बेहद गंभीर मामला है। इस दौर में ऐसी ओच्छी राजनीति नहीं होनी चाहिए।

4. यह बड़े शर्म की बात है कि सरकार ने कोरोना के खिलाफ ज़ंग रहे योद्धाओं का वेतन काटा है।क्या सरकार बताएगी कि किन परिस्थितियों में  महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस आदि योद्धाओं का वेतन काटा गया है?जबकि अन्य राज्यों में इन्हें प्रोत्साहन राशि देने की बात हो रही है। देशभर में इन योद्धाओं पर हैलीकॉप्टरों से पुष्प बरसाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के आह्वान पर इनका हौसला बढ़ाने के लिए थालियां बजाई गईं और दीप प्रज्ज्वलित किए गए। ऐसे में हिमाचल सरकार द्वारा इनका वेतन काटना शर्मनाक है।ऐसा कदम उठाकर सरकार इन योद्धाओं की हिम्मत तोड़ रही है जो अपनी जान और परिवार की परवाह किए बिना दिन- रात मानवता की सेवा में समर्पित हैं।

5. क्या सरकार बताएगी कि मंडी जिले के सरकाघाट से लाए गए कोरोना के मरीज़ के अंतिम संस्कार  में अमानवीय तरीका क्यों अपनाया गया? परिजनों को संस्कार से दूर रखते हुए मृतक को लावारिश कैसे घोषित किया गया?  मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए किसके आदेश से डीजल डालकर मृतक का संस्कार किया गया? यह कृत्य अमानवीय और निंदनीय है।

6. कोरोना के कारण घरों से बाहर यहां-वहां फंसे प्रदेश के लोगों की मदद करने के लिए जिन अधिकारियों को नोडल अफसर लगाया गया है वे परेशानहाल जनता के फोन नहीं उठा रहे हैं। सरकार बताए कि फोन बंद करने, काल फारवर्ड करने  या डयूटी बदलवाने वाले अफसरों के ख़िलाफ़ क्या करवाई की जा रही है?

6. शराब को आवश्यक सामान की सूची में डालने  की अधिसूचना जारी करने वाले अफसरों के ख़िलाफ क्या कार्रवाई की गई है?

7.कोरोना के दौर में सीमेंट के दाम बढ़ाने वाली कंपनियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई है?

8. प्रदेश से बाहर रहने वाले लोग निश्चित तौर पर अपने घर आएंगे। प्रदेश की सीमा पर बिना भेदभाव के उनके स्वास्थ्य की जांच करके और उन्हें उचित निर्देश देकर अपने-अपने घर जाने दिया जाए। लेकिन सीमा पर कुछ अफसर अपने लोगों को स्वास्थ्य जांच के बगैर प्रदेश में प्रवेश करा रहे हैं। सरकार बताए कि ऐसे अफ़सरों के ख़िलाफ़  क्या कार्रवाई हुई है?

9. राज्यपाल महोदय, सरकार कोरोना के कारण पहले ही परेशान प्रदेश के लोगों को तंग करने से बाज नहीं आ रही है। प्रदेश के लोगों के खिलाफ दायर हजारों एफआईआर लोगों को तंग करने की सुबूत हैं। सरकार को जनता को बेवजह परेशान करने से रोका जाए। इसी तरह उत्तराखंड से मजिस्ट्रेट के अधिकृत पास से अपने घर आए तीन व्यक्तियों को होम क्वारंटीन रखने के बाद उत्तराखंड लौटा देना ज्यादती के अलावा कुछ नहीं है।

10. सरकार की शह पर सरकारी अमला मीडिया को खौफजदा कर रहा है। कोविड एक्ट की आड़ में पत्रकारों पर दबाव बनाया जा रहा है। कुछ खबरों को लेकर फेक न्यूज श्रेणी का खौफ दिखाकर उनपर कुठाराघात किया जा रहा है। यही नहीं सरकार की कार्यप्रणाली पर कमेंट करने वालों को पुलिस का डर दिखाकर रोका जा रहा है। सरकार की ऐसी सोच अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।

राज्यपाल महोदय आपसे यह भी आग्रह है कि इस दौरान प्रदेश के लोगों के नाम सरकारी संदेश देने के लिए डटी भारी-भरकम फ़ौज की बजाय  राज्य स्तर पर प्राधिकृत अधिकारी  केंद्र की तर्ज़ पर लगाया जाए ताकि सरकारी संदेश और निर्देश जनता को साफ़ तौर पर मिल सकें।'