सुपर साइक्लोन अम्फान ओडिशा तट के करीब पहुंच गया है। इससे वहां तेज बारिश हो रही ह।. इसके आज दोपहर बाद या शाम तक पश्चिम बंगाल पहुंचने की संभावना है। यह बेहद भीषण चक्रवाती तूफान के रूप में पश्चिम बंगाल में दीघा और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश तटों से गुजर सकता है। यह आज दोपहर के बाद खतरनाक चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। इस महातूफान से करीब 200 किलोमीटर रफ्तार से हवाएं चलेंगी। भारी बारिश का भी अनुमान है।
सुपर साइक्लोन से भी खतरनाख अम्फान!
यह तूफान 1999 में उड़ीसा में आए पहले सुपर साइक्लोन से भी खतरनाक माना जा रहा है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत अन्य तटीय राज्यों में इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। ओडिशा में भारी बारिश और हवा के झोंके और बंगाल के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही है। अधिकारियों ने बताया कि तूफान के चलते पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जोखिम वाले इलाकों से लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। दोनों राज्य हाई अलर्ट पर हैं क्योंकि चक्रवात के चलते तेज रफ्तार हवाएं चल रही हैं और ओडिशा के कई क्षेत्रों में बारिश हुई है।
आज शाम पश्चिम बंगाल के तट से टकराने की आशंका
च्रवाती तूफान 'अम्फान' के आज पश्चिम बंगाल के तट पर टकराने की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान 155 से 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक हवाएं चलने और भारी बारिश का अनुमान है। भारत मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान बंगाल के तटीय जिलों में भारी बारिश होगी और समुद्र में चार-पांच मीटर ऊंची लहरें उठेंगी। अम्फान तूफान से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 19 टीमें पश्चिम बंगाल में तो 15 टीमें ओडिशा में तैनात की गई हैं। 6 टीमों को इस तरह से तैयार रखा गया है, कि जब भी जरूरत पड़े, उन्हें एयरलिफ्ट करके पहुंचा दिया जाए। चक्रवाती तूफान प्रभावित इलाकों में भारी तबाही मचा सकता है।
अम्फान से रेल सेवाओं को खतरा
अम्फान तूफान से 185 से 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं से सबसे बड़ा खतरा रेल सेवाओं को है। इसको देखते हुए हावड़ा में रेल कोचों को चेन से बांधा गया है जिससे तूफानी हवाओं से रेल कोचों को नुकसान पहुंचाने से रोका जा सके।
रेलवे की ओर से हावड़ा के शालीमार साइडिंग में खड़ी रेल के कोच को चेन और ताले से बांधने का इंतजाम किया गया है। जो ट्रेनें रेलवे ट्रैक पर खाली खड़ी हैं, उन्हें लोहे की मोटी-मोटी चेन स्किट से बांधा गया है और ताला लगाया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है कि चक्रवाती तूफान में तेज हवा की वजह से ट्रेनें कहीं पटरी पर बिना इंजन के सरपट न दौड़ जाएं। अगर इंजन के बगैर एक बार दौड़ गई तो दुर्घटना घट सकती है फिर इसे काबू में करना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। यही कारण है कि ट्रेन को लोहे की चेन और ताले से बांध कर रखा जाता है।