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प्राइवेट मिनी बस ड्राइवर-कंडक्टर यूनियन ने समस्याओं को लेकर अरिरिक्त निदेशक को सौंपा ज्ञापन, उठाई सकारात्मक कार्रवाई की मांग

पी. चंद, शिमला |

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में प्राइवेट मिनी बस ड्राइवर एंड कंडक्टर यूनियन सम्बंधित सीटू का प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त निदेशक एवं अतिरिक्त आयुक्त सुनील शर्मा से मिला ओर उन्हें ज्ञापन सौंपकर मांग पत्र पर सकारात्मक कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि इस महामारी से सबसे ज़्यादा पीड़ित और प्रभावित मज़दूर वर्ग ही है। मजदूर वर्ग में भी निजी परिवहन व्यवस्था से सम्बन्ध रखने वाले निजी बस चालक-परिचालक एक भयंकर आर्थिक ओर सामाजिक संकट में हैं। हमे केंद्र ओर हिमाचल सरकार की विभिन्न अधिसूचनाओं के बावजूद भी मार्च-अप्रैल महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है जिस से इन्हें शिमला शहर जैसी जगह में मकान का किराया चुकाने और रोज़मर्रा के खर्चों को निपटाने में बड़ी दिक्कत खड़ी हो गयी हैं। अतिरिक्त निदेशक ने भरोसा दिया कि इस मांग पत्र को राज्य सरकार के साथ होने वाली बैठक में रखा जाएगा और निजी बस ड्राइवरों-कंडक्टरों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। ड्राइवरों-कंडक्टरों को मार्च ओर अप्रैल 2020 का वेतन सुनिश्चित किया जाएगा। यूनियन का मांग पत्र इस प्रकार है।

अतिरिक्त निदेशक को सौंपे मांगपत्र में ड्राइवर-कंडक्टर यूनियन ने लिखा है कि 'प्राइवेट मिनी बस ड्राइवर एंड कंडक्टर यूनियन शिमला सम्बंधित सीटू आपका ध्यान कोरोना महामारी के दौर में निजी ट्रांसपोर्ट मजदूरों की बेहाल स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहती है। यह पत्र हम आपको ऐसे समय में सौंप रहे हैं जब दुनिया, देश और प्रदेश कोविड-19 महामारी की एक बेहद संकट ग्रस्त आपदापूर्ण स्थिति में है। इस महामारी से सबसे ज़्यादा पीड़ित और प्रभावित मज़दूर वर्ग ही है। मजदूर वर्ग में भी निजी परिवहन व्यवस्था से सम्बन्ध रखने वाले निजी बस चालक-परिचालक एक भयंकर आर्थिक ओर सामाजिक संकट में हैं। हमे केंद्र ओर हिमाचल सरकार की विभिन्न अधिसूचनाओं के बावजूद भी मार्च-अप्रैल महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है जिस से इन्हें शिमला शहर जैसी जगह में मकान का किराया चुकाने और रोज़मर्रा के खर्चों को निपटाने में बड़ी दिक्कत खड़ी हो गयी हैं।

केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा एपिडेमिक एक्ट व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के विशेष प्रावधानों के अनुसार 20,29 और 30 मार्च 2020 को जारी की गयी अधिसूचनाओं के बावजूद हमें मार्च-अप्रैल 2020 का वेतन नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि हमें मार्च 2020 के किये गए कार्य तक का वेतन नहीं दिया गया है जो न केवल एपिडेमिक एक्ट व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है अपितु वेतन भुगतान अधिनियम 1936 का भी सीधा उल्लंघन है। ऐसी स्थिति में न तो केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से मजदूरों की कोई मदद की जा रही है और न ही हिमाचल प्रदेश का श्रम विभाग अपनी नैतिक व भौतिक जिम्मेवारियों का निर्वहन कर रहा है।
 
कृषि क्षेत्र के बाद देश में असंगठित क्षेत्र में सबसे ज़्यादा रोजगार देने देने वाले ट्रांसपोर्ट सेक्टर में निजी क्षेत्र की भी अपनी एक भूमिका रही है। इस निजी क्षेत्र के संचालन में चालकों व परिचालकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है परन्तु हमें सरकार द्वारा निर्धारित एम्प्लॉयमेंट शेडयूल के अनुसार न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जाता है। हमारे कार्य के घण्टे भी निर्धारित नहीं हैं। हमसे चौदह घण्टे तक कार्य लिया जाता है। हमें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। हमारे लिए अन्य आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा के बारे में कल्पना करना तो किसी सपने से कम नहीं है। पूरा वर्ष भर बिना किसी साप्ताहिक अवकाश के चौदह घण्टे तक न्यूनतम वेतन के बिना हम चालक-परिचालक कार्य करते रहे हैं परन्तु अब कोविड-19 की इस आपदापूर्ण स्थिति में निजी बस ऑपरेटरों व मालिकों ने हमें वेतन देने से अपना पल्ला झाड़ लिया है। इस विषय पर स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी व प्रदेश से भी कोई मदद हमें नहीं मिली है। अतः आपके समक्ष निम्न मांगें कार्रवाई हेतु प्रेषित हैं।

1. निजी बसों के चालकों-परिचालकों के मार्च-अप्रैल 2020 के वेतन का भुगतान नियोक्ताओं अथवा मालिकों से अविलम्ब करवाया जाए।

2. माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली सरकार की तर्ज पर आठ घण्टे के कार्य दिवस के लिए लगभग 16500 रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए।

3. हमसे केवल आठ घण्टे कार्य लिया जाए। हमारे द्वारा आठ घण्टे से ऊपर अतिरिक्त कार्य करने पर हमें डबल ओवरटाइम के हिसाब से वेतन का भुगतान किया जाए।
       
4. कोरोना काल में ड्राइवरों व कंडक्टरों को 7500 रुपये मासिक की आर्थिक मदद दी जाए।

5. यातायात सुविधा शुरू होने पर निजी ट्रांसपोर्ट सेवाओं में लगे सभी कर्मियों की उचित देखभाल व जनता की रक्षा के लिए समुचित सुरक्षा का प्रबंध किया जाए व उचित स्वास्थय किट मुहैय्या करवाई जाए।

6. यातायात व्यवस्था शुरू होने पर निजी बस चालकों-परिचालकों का सरकारी तर्ज़ पर 50 लाख रुपये का बीमा किया जाए।

अतः आपसे अनुरोध है कि हमारी आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु तुरन्त ठोस पहलकदमी करें व हमें न्याय प्रदान करें।'