बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार पर दुख जताते हुए इस घटना को शर्मनाक करार दिया है। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस समय कोरोना से छटपटा रहा है। देश और प्रदेश में भी रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां कोरोना से मुकाबला करने के लिए एक मनरेगा मजदूर विद्या देवी 5 हजार रुपये का योगदान करती है, वहीं, दूसरी तरफ उस पैसे से कोरोना उपचार की सामग्री खरीदने में एक अधिकारी भ्रष्टाचार करता है। सुनकर ही दिल दहल जाता है, शर्म से सिर झुक जाता है। कफन तक भी चुराने वाले इस प्रकार की मनोवृति वाले लोग मनुष्य शरीर में कैसे आते हैं।
उन्होंने कहा कि पूरा प्रदेश आहत है। सोशल मीडिया और अखबारों में बहुत चर्चा हो रही है। उन्होने विपक्ष के नेताओं से आग्रह किया है कि इस में राजनीति न करें। हमारी सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूरी जांच करके न्याय दिलवायेंगे। शांता ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि आज की परिस्थिति में यह भ्रष्टाचार सामान्य भ्रष्टाचार नहीं है। यह अपराध ही नहीं एक महापाप है। यदि वे उचित समझें तो कुछ प्रमुख योग्य और ईमानदार अधिकारियों की एक सयुंक्त जांच समिति नियुक्त करके अतिशीघ्र दोषियों को सजा दिलायें।
विश्वविद्यालयों की डिग्रियां बेचने के अपराध से ही हिमाचल प्रदेश बदनाम हो चुका है। अब कोरोना उपचार सामग्री खरीद में भी भ्रष्टाचार का यह समाचार प्रदेश को कलकिंत कर देगा। उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री अतिशीघ्र इस संबंध में उचित कार्यवाही करवायेंगे। इस प्रकार की भीषण आपदा की नाजुक परिस्थिति में भी यदि ऐसा भ्रष्टाचार होता है तो फिर सामान्य स्थिति में देश को ये लुटरे कितना और किस प्रकार लूटते होंगे। यह सोच कर दिल कांप उठता है।