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कांगड़ा: मूंदला पंचायत पर लगे मनरेगा कार्यों में धांधली के आरोप, विजिलेंस के पास पहुंचा मामला

मृत्युंजय पूरी |

फर्जी जॉब कार्ड और बिना शुरु हुए विकासकार्यों के फर्जी मस्ट्रोल तैयार कर सरकारी पैसे का भुगतान करने के आरोप झेल रही शाहपुर की मूंदला पंचायत की दिक्कतें कम होती नजर नहीं आ रही। क्योंकि अब मामला विजिलेंस के पास पहुंच चुका है। क्योंकि इसी पंचायत के वार्ड नंबर 1 निवासी दिनेश कुमार ने मूंदला पंचायत में साल 2009 से लेकर 2019-20 के अब तक हुए तमाम विकास कार्यों पर लगे सरकारी पैसे की जांच की शिकायत 1 जून को विजिलेंस को सौंप दी गई है।

दिनेश कुमार ने आरोप लगाए हैं कि उक्त पंचायत में 2009 से लेकर बनाए गए मनरेगा जॉब कार्ड में से सैकड़ों जॅाब कार्ड में एक ही फोटो कई अन्य अलग-अलग नामों के साथ लगाई गई है। साथ ही पंचायत में 2018-19 में ऐसे कई विकास कार्य जिनका काम अभी शुरु हुआ नहीं है और पंयायत ने फर्जी तरीके से मस्ट्रोल तैयार कर उन बिलों की अदाएगी कर डाली है।

यही नहीं पंचायत में साल 2009 से मनरेगा काम करने के लिए बनाए गए पात्र लोगों के जॉब कार्ड भी संदेह प्रस्त हैं। क्योंकि इनमें से कई जॉब कार्ड ऐसे भी थे जो सरकारी कार्यालयों में अपनी सेवाएं देने के साथ-साथ मनरेगा में भी दिहाड़ी लगा रहे थे। इस बारे में शिकायतकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से सारी जानकारी जुटाई थी और बीते 1 जून को शिकायतकर्ता ने पंचायत में बने फर्जी जॉब कार्ड और फर्जी मस्ट्रोलों की प्रतिलिपियां विजिलेंस विभाग धर्मशाला को सौंप दी है।

उधर विजिलेंस विभाग भी शिकायतकर्ता से जल्द ही जानकारी जुटाकर जांच पड़ताल शुरू करने वाला है। इस बारे में विजिलेंस विभाग के एसपी एस अरुल कुमार ने कहा कि उनके पास शिकायत आई है। इस सारे मामले की जांच के लिए एक अधिकारी तैनात कर दिया है। जल्द ही इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।  

नोटिस के माध्यम से मामले को दबाने की कोशिश

बता दें कि इस पूरे मामले को सामने लेकर आने वाले इसी पंचायत के वार्ड नंबर एक निवासी दिनेश कुमार पुत्र पूर्ण चंद को पंचायत के उप-प्रधान ने कानूनी नोटिस भेजकर अपनी तिलमिलाहट को जाहिर कर दिया है। उसने जल्दबाजी में नोटिस में अंदर-बाहर शिकायतकर्ता के पिता को मरा हुआ साबित किया गया है जबकि शिकायतकर्ता के 80 वर्षीय पिता पूर्ण चंद अभी जिवित है। लेकिन नोटिस में जीवित व्यक्ति को मृत घोषित करने की गलती भी पंचायत उपप्रधान कर चुके हैं।

नोटिस में बेवजह के आरोप लगाकार शिकायतकर्ता से पंचायत में मौजूद लोगों के सामने आकर माफी मांगने को भी कहा गया है। साथ ही 14 दिन के भीतर इसका जबाव मांगा गया है  और 5 हजार रूपये जुर्माने की बात भी नोटिस में लिखी गई है। इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं शिकायत कर्ता पर दबाव बनाने की कोशिश भी की जा रही है?