राज्य सरकार ने इच्छुक बेरोजगार ग्रामीणों को मनरेगा के अंतर्गत अपनी भूमि में कार्य करने की स्वीकृति प्रदान की है। ये कार्य ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की शेल्फ में शामिल न होने पर भी किए जा सकेंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 260 लाख कार्य दिवसों का सृजन कर कुल 859 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई जबकि इस वित्त वर्ष अभी तक मनरेगा के अंतर्गत 54 करोड़ रुपये खर्च करके 22 लाख कार्य दिवस सृजित किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने भी मनरेगा के अंतर्गत बनी लोक निर्माण विभाग की सड़कों और जल शक्ति विभाग की ट्रेंचिज के रख-रखाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मनरेगा कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित बनाने के लिए विभाग ने सिक्योर सॉफ्टवेयर लागू किया है। मनरेगा के अंतर्गत शत-प्रतिशत कार्य सीधे हंस्तातरण (डीबीटी) के माध्यम किया जा रहा है। कार्य स्थल पर मनरेगा कार्यकर्ताओं को घर में निर्मित फेस कवर, साबुन और जल आदि प्रदान किए जा रहे हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि विभाग ने मनरेगा के तहत हुए कार्यां में गुणवत्ता सुधार के लिए एक गुणवत्ता नियंत्रण प्रकोष्ठ (सेल) स्थापित किया है। प्रदेश के छः जिलों- बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मण्डी, शिमला और सोलन में लोकपाल नियुक्त किए गए हैं और बचे शेष ज़िलों में शीघ्र ही लोकपाल कि नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 610 भवनों का निर्माण किया गया जबकि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान गरीबों की सुविधा के लिए 998 भवनों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभिन्न आवास योजनाओं के अंतर्गत गृह निर्माण के कार्य में गुणवत्ता व सुधार लाने के लिए विभाग इच्छुक ग्रामीण राज-मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बना रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन और मनरेगा के अभिसरण से मुख्यमंत्री एक बीघा योजना आरंभ की है। अभी तक 2000 महिला स्वयं सहायता समूहों ने इस योजना के अंतर्गत आवेदन किया है। सरकार ग्रामीण गरीबों को न्यूनतम वेतन से अधिक देने के लिए औपचारिक क्षेत्र में कौशल और रोज़गार प्रदान करने पर विशेष बल दे रही है। उन्होंने कहा कि उन्नति परियोजना के अंतर्गत युवाओं को नए ट्रेड जैसे- फैशन डिजाइनिंग, सहायक हेयर-स्टाइलिस्ट, मल्टी-स्किल तकनीशियन, डेयरी प्रोसेसिंग उपकरणों आदि में प्रशिक्षित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत एक विशेष पहल की है और जल शक्ति विभाग को मण्डी ज़िला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना ज़िला के बंगाणा में पायलट आधार पर मल-संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। सड़कों के किनारे सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के लिए एक-एक करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है। पंचायतों के समावेशी स्थानीय शासन की क्षमताओं में वृद्धि पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों और अभिसरण योजनाओं के अधिकतम उपयोग के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायतों को भी अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।