नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। अग्निहोत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को लेकर केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश किया है। इसलिए प्रदेश की जनता के साथ किए गए फरेब को लेकर बीजेपी सरकार जनता से माफी मांगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी बीते कई सालों से इस मद्दे पर झूठ बोलती आई है। और अब अढ़ाई साल बाद हकीकत तब बाहर आई जब गडकरी ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में साफ कर दिया की उनके इस ऐलान को प्रधानमंत्री कार्यालय से आज दिन तक अनुमति नहीं मिल पाई है।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 65 हजार करोड़ रुपए के 70 नेशनल हाईवे का एलान आखिर झूठ का पुलिंदा निकला जबकि बीजेपी ने इस एलान के बूते विधानसभा चुनावों को जीता और लोकसभा चुनावों में भी डट कर भुनाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को कांग्रेस सदन के भीतर और बाहर लगातार उठाती रही है और कांग्रेस विधायक दल यह दलील देता रहा कि कोई मंजूरी हिमाचल सरकार को नहीं मिली है। लेकिन सरकार दावा करती रही कि इसे सैद्धांतिक मंजूरी हासिल है और जल्द ही इसके लिए जरुरी प्रावधानों की घोषणा हो रही है। उन्होंने कहा कि 65 हजार करोड़ रुपए का भारी-भरकम झूठ हिमाचल की जनता से करना घोर अपराध है।
नेता विपक्ष ने कहा कि बीजेपी सत्ता में आने से पहले तो प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाती रही कि कांग्रेस सरकार इसमें कुछ नहीं कर रही है जबकि पांच साल बाद साफ हो गया कि यह कोरा झूठ था। उन्होंने कहा कि हाल में सरकार ने यह भी घोषणा करने की कोशिश की कि करीब 25-30 नेशनल हाईवे मंजूर होने वाले हैं। यह सब फर्जी राजनीतिक घोषणायें थीं जिनके बड़े-बड़े होर्डिंग्ज पूरे हिमाचल में लगाए गए और केन्द्र का धन्यवाद किया जाता रहा। यह नेशनल हाईवे ना तो मापदण्डों की कसौटी पर परखे गए और न ही इनकी लम्बाई, न ही वॉल्यूम ऑफ ट्रैफिक परखी गई भाजपा सांसदों और विधायकों से सिर्फ सूचियां लेकर इनका एलान कर दिया।
उन्होंने कहा कि कालका-शिमला और आनन्दपुर-मनाली नेशनल हाईवे की हकीकत भी गडकरी ने बयां कर दी है, जहां गडकरी ने भू-अधिग्रहण और फोरेस्ट क्लीयरैंस या भू-अधिग्रहण की दुहाई दी साथ ही कहा कि कंपनियां हाथ खड़े कर चुकी है और कई कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार जनता के दरबार में इन मसलों में आगे झूठ जारी रखने की बजाय तत्काल माफी मांगे वैसे भी विभाग मुख्यमंत्री के पास है। वर्ष 2016 की गडकरी की घोषणा का पटाक्षेप हो गया है।