हिमाचल प्रदेश 13वीं विधानसभा का चुनाव पिता पुत्र के लिए अहम है। जी हां, हम बात कर रहे है मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह की, विक्रमदित्य सिंह शिमला ग्रामीण से पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे है। पहली पारी में विक्रमदित्य सिंह जनता से इसी आधार पर वोट मांगते नज़र आए की ये उनका पहला चुनाव है।
दूसरी तरफ उनके पिता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपने भाषणों में कई बार कहते सुने गए कि ये चुनाव उनका आखिरी चुनाव है इसके बाद वह चुनाव नही लड़ेंगे। ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं कहा , वर्ष 2012 के चुनाव में भी उन्होंने अपना आखिरी चुनाव कहकर जनता से वोट मांगे थे।
लेकिन राजनीति में जुबान की कीमत और शब्दों का मोल कहां होता है। यहां तो सुविधा की राजनीति हैं जो आपको सूट करता है उसी हिसाब से गोटियां फिट की जाती है। रही बात जनता की तो वह तो कई बार सुनकर सब कुछ अनसुना कर देती है या फिर जल्द भूल जाती है।
हां ये चुनाव दोनों पिता पुत्र के लिए अहम है क्योंकि वीरभद्र सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। इस मर्तबा उन्होंने अर्की को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। वहां से वह अच्छे मार्जन से जीत दर्ज कर अपनी अंतिम पारी से विदा होना चाहेंगे। दूसरी तरह उनके सपुत्र का राजनीतिक भविष्य भी इस चुनाव पर टिका है। विक्रमादित्य सिंह अपनी पहली पारी का आगाज जीत के साथ करना चाहेंगे।