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कोरोना वायरस के चलते काम कम, गोलगप्पे की रेहड़ी लगाकर कर रहे गुजारा

मृत्युंजय पुरी |

कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन और अब आनलॉक डाउन 1 के चलते  खाने -पीने वाली चीजों बेचकर गुजारा करने वालों पर दैनिक खर्चों के लिए आर्थिक संकट हो रहा है। वहीं, नूरपुर के सुलयाली गांव में ग्वालियर से रोजी-रोटी कमाने आये गंगा राम ने अपनी दस्तान सुनाई। गंगा राम पत्नि और दो बच्चों के साथ गांव में एक किराये पर दुकान लेकर रह रहा है और एक बच्चा गांव में रहता है।

गंगाराम पिछले कुछ सालों से सुलयाली गांव में गोलगप्पे की रेहड़ी लगाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहा था। गंगा राम ने बताया कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन और अब आनलॉक डाउन 1 होने पर बहुत ही कम  लोग गोलगप्पे खाने आ रहे हैं। जिसके कारण अब अपना और परिवार का खर्चा उठाना मुश्किल हो गया है। लॉकडाउन कर्फ्यू के दौरान मुझे राशन भी मदद के तौर मिल रहा था जो अब नहीं है। काम कम होने पर परिवार के सभी लोग आम उठा कर उसे काट कर सूखने का कार्य कर रहे हैं। जिसे बाद में बेचकर गुजारा चल सके करने पर मजबूर हैं।

गंगा राम ने बताया यहां के स्थानीय लोग बहुत अच्छे हैं और हमारी समय-समय पर मदद कर देते हैं पर जैसा हमने सुना है कि हिमाचल सरकार प्रवासी लोग जिनका हिमाचल राशन कार्ड नहीं है उनको भी  डिपू में राशन देगी अगर ऐसा भी हो जाऐ तो भी हमारे लिए बेहतर होगा। मैंने राशन डिपू में अप्लाई किया है। मेरी प्रशासन और हिमाचल सरकार से अपील है कि हम प्रवासी को राशन डिपू में राशन और कुछ और सुविधाएं दे ताकि हम जब-तक काम कम है तब तक अपना और अपने परिवार का  पालन कर सके गंगा राम की पत्नी ने कहा कि मेरे पति का काम बहुत कम हो गया और हम बच्चों के साथ यहां किराये पर रह रहे हैं हमारी सरकार से अपील है जो उचित हो सकता हो हमारी मदद करें ताकि हम अपना गुजारा कर सके।