निजी स्कूल की फीस को लेकर एक बार फिर विवाद शुरु हो गया है। छात्र अभिभावक मंच निजी स्कूलों की मनमानी, लूट औऱ प्रदेश सरकार के केवल टयूशन फीस लेने के आदेश की अवहेलना के खिलाफ़ 19 जून 2020 को निदेशक उच्चतर शिक्षा के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेगा। मंच ने प्रदेश सरकार औऱ निदेशक उच्चतर शिक्षा को चेताया है कि साल 2019 की तर्ज़ पर केवल टयूशन फीस लेने के निर्णय को अगर अक्षरशः लागू न किया गया औऱ टयूशन फीस तिमाही के बजाए हर महीने के आधार पर न वसूली गयी तो आंदोलन तेज होगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सह संयोजक बिंदु जोशी, सदस्य फालमा चौहान, विवेक कश्यप,प्रकाश रावत,राजीव चौहान ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में भी निजी स्कूल खुली लूट कर रहे हैं परन्तु सरकार औऱ निदेशक उच्चतर शिक्षा खामोश हैं। निजी स्कूलों के लगभग 70 प्रतिशत अभिभावक निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर बार-बार भेजे गए मोबाइल संदेशों के दबाव में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में इस तिमाही में एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज़ फंड, मिसलेनियस फंड औऱ अन्य सभी प्रकार के फंड औऱ फीस कैबिनेट का निर्णय आने से पूर्व ही जमा कर चुके हैं। इस जमा फीस में टयूशन फीस भी साल 2020 में आठ से 20 प्रतिशत तक बढ़ाई गयी फीस के आधार पर ही वसूली गयी है। निजी स्कूल प्रबंधन इस ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों में सम्माहित करने में आनाकानी कर रहे हैं और न ही इस बढ़ी हुई फीस को वापिस लौटा रहे हैं। इस ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों के रूप में सम्माहित करने औऱ वापिस लौटाने के लिए सरकार ने कोई भी उचित मैकेनिज़्म तैयार नहीं किया है।
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि कैबिनेट के निर्णय के अनुसार साल 2019 की तर्ज़ पर ही निजी स्कूल टयूशन फीस वसूल सकते हैं। लेकिन ये स्कूल आठ से बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ साल 2019 के बजाए साल 2020 की फीस बढ़ोतरी के साथ यह टयूशन फीस वसूल रहे हैं। इन स्कूलों ने पिछले साल टयूशन फीस, एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज़ फंड, मिसलेनियस फंड, बिल्डिंग फंड,डेवेलपमेंट फंड और अन्य सभी प्रकार के फंड औऱ फीस के रूप में विभिन्न मदों में ली गयी फीस को इस साल केवल टयूशन फीस में सम्माहित कर दिया है और पिछले साल की तुलना में टयूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों पर कोरोना काल की तिमाही में ही दस से पन्द्रह हज़ार रुपये का अतिरिक्त बोझ लाद दिया है।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 प्रतिशत फीस टयूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है। औऱ इन की टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ किया जाए और उसी आधार पर अभिभावकों से फीस वसूली जाए। टयूशन फीस किसी भी रूप में कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए। इसके लिए पूरा मैकेनिज़्म तैयार किया जाना चाहिए।