प्रदेश में निज़ी स्कूलों की लूट जारी है। लॉकडाउन से भी निज़ी स्कूल अविभावकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। जनता की मांग पर सरकार ने निज़ी स्कूलों को सिर्फ़ फ़ीस लेने के आदेश जारी किए थे। हालांकि ये आदेश लिखित में अभी तक नही दिए गए। कुछ निज़ी स्कूलों ने सारे चार्ज फ़ीस में जोड़कर अविभावकों से फ़ीस की मांग कर डाली। विरोधस्वरूप निज़ी स्कूल अविभावक संघ लगातार इस मामले को उठा रहा है लेकिन न सरकार न ही स्कूल इस पर संजीदा दिख रहे हैं।
सरकार की फ़रमानी के बाबजूद निज़ी स्कूल की मनमानी के विरोध में छात्र अविभावक संघ ने शिक्षा निदेशालय का घेराब किया व सरकार सहित निज़ी स्कूलों के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। छात्र अविभावक संघ के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने आरोप लगाया कि सरकार ने निज़ी स्कूलों मात्र फ़ीस लेने के आदेश दिए लेकिन आज़तक कोई अधिसूचना इस संबंध में जारी नहीं की गई। जिससे साफ है कि निज़ी स्कूलों के साथ शिक्षा विभाग की कुछ मिलीभगत है। लेकिन संघ आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ेगा।
फ़िलहाल दस जमा दो के परीक्षा परिणाम से ये तो।साबित हो गया है कि निज़ी स्कूलों से सरकारी स्कूल कई दर्ज़े बेहतर है। सिर्फ़ देखा देखी में अविभावक निज़ी स्कूलों में लूट का शिकार हो रहे हैं। शिक्षा के मंदिर जब लूट की दुकानें बनने लगे तो बेहतर है सरकारी स्कूल, जहां पढ़ाई से लेकर वर्दी तक निशुल्क है। फ़िर भला दोष किसको दें?