देश में लगाए गए आपातकाल की 45वीं बरसी के मौके पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा की देश को 25 और 26 जून के आपातकाल को हमेशा बड़ी गंभीरता से याद करते रहना चाहिए। शांता ने कहा कि आज से ठीक 45 साल पहले 25 जून को आपातकाल की घोषणा हुई थी और 26 जून को पूरा देश जेल खाना बन गया था। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया। सविधांन निलंबित कर दिया गया। मूल अधिकार निलंबित कर दिए गए। जेल में बंद हम सब की तरफ से जब न्यायालय मे कहा गया कि हमारा जीने का अधिकार भगवान ने दिया है और सविंधान ने भी दिया है। तब सरकार की ओर से कहा गया कि जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है।
यह भी याद रखना चाहिए कि तब कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था न कोई भूचाल आया था और न ही बाढ़ आई थी। केवल और केवल श्रीमति इन्दिरा गांधी द्वारा चुनाव जीतने के लिए अवैध तरीके अपनाने के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहराया था। वे प्रधानमंत्री नहीं रह सकती थी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसलिए जेलखाना बनाया गया क्योंकि श्री जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समग्र क्रान्ति का आन्दोलन सफल हो रहा था और इन्दिरा गांधी जी की कुर्सी चली गई थी।
उन्होने कहा कि स्वतन्त्रता आन्दोलन के योद्धा श्री जयप्रकाश नारायण जिन्होने अंग्रेज की जेल को तोड़कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। उन्हें भी जेल में बंद किया गया । इतना ही नहीं उन्हें देश का शत्रु बताया गया। यह भी याद रखना चाहिए कि 1977 का चुनाव भारत के इतिहास में एक मात्र ऐसा चुनाव है जिसे पार्टियों ने नहीं जनता ने लड़ा। हम जेलों से निकले थे, कुछ नहीं था हमारे पास । जनता ही पार्टी बन गई और जनता का धन ही पार्टी का कोश बन गया।
शांता कुमार ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि उस समय का आन्दोलन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरूद्ध था क्योंकि भ्रष्टाचार सबसे बड़ा शत्रु है। गरीबी का सबसे बड़ा कारण है। आज भारत में लोकतंत्र की जड़े तो पूरी तरह से मजबूत हुई हैं। परन्तु दुर्भाग्य से भ्रष्टाचार कहीं-कहीं अभी भी पनप रहा है। हम सबको उससे खबरदार रहने की आवश्यकता है। उन्होने उस समय के नाहन जेल के अपने साथियों को भी याद किया। उन मे से बहुत से इस दुनिया को छोड़ का चले गये। उन्हें भी उन्होने अपनी श्रंद्धाजली दी है।