एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस से निपटने में लगी हुई है वहीं, दूसरी तरफ टीबी उन्मूलन को लेकर डॉ राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा ने 'नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर रिसर्च इन ट्यूबरक्लोसिस' चैन्नई के साथ एमओयू साइन किया है। प्रदेश के इस मेडिकल कॉलेज के लिए यह गर्व की बात हैं। कॉलेज ने एनआईटीआरडी के साथ 'सेंटिनेल सर्विलांस फ़ॉर मेयरिंग द टीबी बर्डन एंड ट्रेंड इन हाइ रिस्क ग्रुप फ़ॉर टीबी' विषय पर एमओयू साइन किया है। चेन्नई स्थित देश का यह महत्वपूर्ण संस्थान स्वास्थ्य परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो तपेदिक और अन्य फेफड़ों के रोगों से संबंधित अनुष्ठान में अग्रणी है।
डब्ल्यूएचओ की ओर से तपेदिक परिपेक्ष्य संदर्भ प्रयोगशाला नेटवर्क के तहत संस्थान को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता दी गई है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ भानु अवस्थी ने बताया कि तपेदिक रिसर्च में एनआइटीआरडी के साथ जुड़ना कॉलेज के लिए एक समान है। संस्थान ने तब से तपेदिक के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी जब यहां वर्ष 1958 में टीवी सैनिटोरियम स्थापित किया गया था। ग्लोबल फंड की ओर से वित्त पोषित किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज को देशभर में 6 साइटों में से एक के तौर पर चुना गया है। प्रोजेक्ट उच्च जोखिम वाले समूह कमजोर आबादी में टीवी के बर्डन का भी अनुमान लगाएगा।
प्रोजेक्ट एनआइटीआरडी के वैज्ञानिक डॉक्टर श्रीनिवास और टांडा कॉलेज समुदायिक विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील रैना प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं। गौर हो कि टीवी अनुमूलन को लेकर हिमाचल प्रदेश को हाल ही में गुजरात और आंध्र प्रदेश की आबादी वाले क्षेत्र में तीसरे सर्वश्रेष्ठ राज्य के तौर पर घोषित किया गया था और 2025 के राष्ट्रीय लक्ष्य से 2021 तक टीवी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध किया गया है।