हिमाचल प्रदेश न सिर्फ अपने प्राकृतिक स्वभाव और एडवेंचर के लिए जाना जाता है। बल्कि यह सेब की खेती के लिए भी जाना जाता है। पहाड़ी इलाको में यहां सबसे ज्यादा सेब की खेती की जाती है। लेकिन इस बार यहां के सेबों को किसी की नजर लग गई है। जिला कुल्लू में सेब की फसल पर स्कैब रोग के लक्षण देखनें को मिले है, जिससे यहां के बागवान परेशान है।
वहीं, अब बागवानों ने उद्यान विभाग से इसकी शिकायत की है। इसकी जांच के लिए राज्य का बागवानी विभाग सक्रिय हो गया है। राज्य के शिमला, कुल्लू और मंडी क्षेत्रों के सेब के बगीचों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। बागवानी विशेषज्ञ का मानना है कि स्कैब का नियंत्रण प्रथम अवस्था में ही किया जाना चाहिए। समय पर अगर इसका नियंत्रण न किया गया, तो यह रोग धीरे-धीरे पूरे बागीचे में फैल जाता हैं। इसके बाद आसपास के बागीचों में भी यह रोग फैलता है। इससे न तो फल का विकास हो पाता है और न पत्तियों का विकास होता है। इसका प्रभाव अगले साल की फसल पर भी पड़ता है।
बागवानी विभाग के अधिकारी डॉ उत्तम पराशर के का कहना है कि सेब की फसल के शुरुआती दौर में ही इस पर स्प्रे की जानी चाहिए। लेकिन करोना के चलते कई बागबान हमें भी अपने बगीचे में तय शेड्यूल के अनुसार स्प्रे नहीं कर पाए। अभी भी बागवानी विभाग के द्वारा इस बारे में बागवानों को निर्देश जारी किए हैं और स्प्रे के माध्यम से इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं।
गौर रहे कि सेब में लगने वाला स्कैब रोग एक फफूंदनाशक रोग है, यह एक तरीके की फंगस होती है। यह रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से यह रोग फसल में लगता है। यदि जल्दी से इस पार काबू नहीं पाया जाता है तो यह एक बगीचे से दूसरे बगीचे में फैलता है।