हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी और शुष्क वायुमंडल जिला ऊना का है। यहां की प्रचंड गर्मी में स्वां नदी में झील का सपना साकार करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध हो सकती है। सोमभद्रा-स्वां नदी में झील निर्माण से जहां पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा वहीं, झील में नौकायन और मत्स्य पालन से भी एक नया संचार होगा। सोमभद्रा-स्वां झील से पर्यटन की अपार सफलता और समृद्धि का नया अध्याय शुरू किया जा सकता है। सोमभद्रा-स्वां नदी झील ऊना को वास्तविक सौन्दर्य प्रसाधन से सराबोर करके बखूबी स्वर्गिक उपमा से विभूषित कर सकती है। झील निर्माण से नील गायों की समस्या और स्वां नदी के अवैध खनन को भी दोबारा लगाम लगाई जा सकती है।
ऊना में चिरप्रतीक्षित सोमभद्रा-स्वां नदी पर चंडीगढ़ की कृत्रिम "सुखना-झील" की तर्ज पर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु और पर्यटकों के आकर्षण का सिरमौर बनाने की गर्ज से सोमभद्रा-स्वां झील बनाने की विगत कई वर्षो से लगातार मांग की जा रही है। इस बार भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार कोई भी साकारात्मक निर्णय अथवा इस दिशा में रचनात्मक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। गौरतलब है कि ऊना में स्वां नदी की बरसाती विभिषिका के चलते ही बहुआयामी विकासोन्मुखी स्वां तटीयकरण पर अब तक अरबों रुपए व्यय किए जा चुके हैं। ऐसे में बुद्धि जीवी वर्ग और आम जनता-जनार्दन की राय में गगरेट से लेकर ऊना मुख्यालय के किसी भी चयनित सोमभद्रा-स्वां नदी में कहीं भी कुछ भू-भाग में सोमभद्रा-स्वां झील के निर्माण से ऊना में एक समग्र पर्यटन विकास क्रांति लाई जा सकती है।
पर्यावरण की दृष्टि से भी लगातार प्रदूषित होती जा रही ऊना की सर्वांगीण विकास धारा की पौराणिक, ऐतिहासिक स्वां नदी का संरक्षण औऱ कायाकल्प पर्यटनशीलता की ओर उन्मुख कर सर्वांगीण पर्यटन विकास क्रान्ति ला सकती है। इसी के चलते गगरेट से ऊना की ओर 45 किमी तक बहती सोमभद्रा-स्वां नदी में एक कृत्रिम अथवा प्राकृतिक झील बनवाने की नितान्त दरकार है। एक अनुमान के अनुसार इस कार्य को अमलीजामा पहनाने की गर्ज से व्यास और सतलुज नदी की धाराओं को नहर अथवा सुरंगी मार्ग से सोमभद्रा-स्वां नदी की जलधारा को किसानों की हजारों एकड़ जमीन को सिंचित करवाने के साथ-साथ बिजली उत्पादन करवाया जा सकता है। ऊना-हिमाचल के तहसील मुख्यालय अंब में भी प्रस्तावित/सम्भावित पर्यटन स्थल विकसित करवाने के लिए चिरप्रतीक्षित धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन विकास के लिये सोमभद्रा-झील का निर्माण समय की पुकार है।
ऊना संस्कृति की विरासत स्वां नदी का वृहद तटीयकरण का कार्य प्रगति की अंतिम शिखर में है। धौलाधार और शिवालिक पहाड़ियों की ओट में मधुर मंद गति से बहती सोमभद्रा-नदी समूचे ऊना की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सँजोए हुये हैं। बरसात में यह नदी भीषण तांडव-तबाही के लिए विख्यात थी किंतु तटीयकरण से सोमभद्रा-नदी ऊना-हिमाचल के किसानों के लिये समग्र हरित क्रांति की सौगात लेकर आई है। धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन विकास के लिए अगर स्वां नदी के कुछ भू-भाग में चंडीगढ़ सुखना झील की तर्ज पर प्राकृतिक अथवा कृत्रिम सोमभद्रा-झील का निर्माण किया जाता है तो अम्ब जनपद सचमुच ही सर्वांगीण पर्यटन विकास का मांडल बन जायेगा।
सोमभद्रा-झील के निर्माण से नौकायन और मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा। होटल उद्योग को भी चार चांद लगेंगे। सोमभद्रा-झील को साकार करवाने से यहां नये रेलवे स्टेशन अंब पर माता चिंतपूरणी और डेरा बाबा बड़भाग सिंह में आने वाले लाखों धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटक श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि होगी। भारत सरकार और हिमाचल सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय को "सोमभद्रा-झील" की सकारात्मक,रचनात्मक और बहुआयामी स्वां झील का निर्माण करवाकर ऊना को भारत के धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन विकास का पर्याय बनवाना चाहिये।