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चंबा : बागवान रमेश कुमार हैं मिसाल, लाखों की आमदनी के साथ प्रदेश भर के बागवानों को देते हैं प्रशिक्षण

सुभाष महाजन |

दिल में कुछ करने की हसरत हो तो मंजिलें खुद बखुद पांव चूमती है । डलहौजी विधानसभा के उपमंडल सलूणी की पंचायत लनोट के एक छोटे से गांव मुलेड के रमेश कुमार वर्मा ने इस कथन को सच साबित किया है ।  रमेश कुमार वर्मा ने विदेशी सेब के अच्छी किस्म के पौधे की नर्सरी तैयार कर बीते 6 सालों में 600 बागवानों को 50 हजार पौधों की बिक्री की । इसके साथा ही उन्होंने बागवानी कार्य दूसरे लोगों को जोड़ने के साथ ही इससे लाखों रुपये की आमदनी भी की । अब  रमेश कुमार वर्मा द्वारा निर्मित "वर्मा  ग्रीन वैली फ्रूट"  नर्सरी  ने प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है ।  प्रदेश भर के बागवान उनसे जिरोमाइन, स्कारलेट, सपर, सुपर चीया, गेल गाल नामक विदेशी अच्छी किस्म के सेब के पौधों की खरीद  के लिए आ रहे हैं ।  उनके व्यवसाय में  प्रतिदिन बढ़ोतरी होने के साथ सैकड़ों बागवान जुड़ कर अपनी आर्थिकी को दस गुना करने में लगे हैं।

रमेश कुमार वर्मा के पिता खच्चरों पर रेत बजरी और सामान ढोकर उसे पढ़ा रहे थे कि अचानक गरीबी के कारण रमेश कुमार वर्मा ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी  और  पिता के साथ परिवार का पालन पोषन करने के लिए रोजगार की तलाश में इधर उधर भटकता रहा । कहीं ढ़ंग का काम नहीं मिलने पर खेत में खेतीबाड़ी में अपने  पिता के साथ जुट गया । मगर उस से उसे कोई ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था । 2010 में बागवानी विभाग के अधिकारियों से मिला तो उन अधिकारियों ने रमेश कुमार वर्मा को बागवानी के लिये प्रेरित किया ।  इटली किस्म के शिमला से 500 रूपए प्रति सेब के 50 पौधे को खरीद कर अपने बागवानी व्यवसाय को शुरू किया वहीं उद्यान विभाग ने भी उन्हें एच डी पी के तहत अच्छी किस्म के पौधे उपलब्ध करवाएं । इसके बाद इन्होंने अपने काम को धीरे धीरे आगे बढ़ाया । अब ये कई लोगों को रोजगार भी देते हैं । अब इनसे प्रशिक्षण के लिये प्रदेश भर से बागवान आते हैं ।