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शहीद किश्न चंद के परिजनों को सरकार और प्रशासन से गिला, बार-बार घोषणाओं के बावजूद नहीं लगी प्रतिमा

बीरबल शर्मा, मंडी |

कारगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदों के परिजनों ने सरकार और प्रशासन को उनके वायदे भी याद दिलाए हैं और कहा है कि शहीदों को सही श्रद्धांजलि वायदों को पूरा करके ही दी जा सकती है। मंडी शहर के सियालगा रामनगर के शहीद हवलदार किश्न चंद ठाकुर के बड़े भाई भवानी सिंह ठाकुर ने कारगिल विजय दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि यह मौका शहीद परिवारों के साथ किए गए वायदों को याद करने का भी है। उन्होंने बताया कि उनके भाई ने भी कारगिल युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उसी समय एलान किया था कि मंडी के पड्डल मैदान का नाम शहीद किश्न चंद मैमोरियल स्टेडियम होगा और यहां पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी हो चुकी हैं मगर शहीद की प्रतिमा आज दिन तक पड्डल मैदान में नहीं लगी।

भवानी सिंह ने बताया कि उनके परिवार के पास कभी इस बारे में सरकार या प्रषासन ने कोई सूचना नहीं दी या जानकारी ही दी कि इस बारे में क्या योजना है। उन्होंने बताया कि महज एक पेंटिंग मैदान के एक छोर पर बने भवन पर उस समय की गई थी मगर अब उसका भी कोई पता नहीं चलता। इस बारे में बीते साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनका परिवार परिवहन, खेल व वन मंत्री ठाकुर गोबिंद सिंह से मंडी में मिला था और उन्होंने उसी समय प्रतिमा लगाने को लेकर आदेश जारी करने की बात कही थी। उन्होंने इस बारे में जिला खेल एवं युवा सेवाएं अधिकारी को जरूरी निर्देश देने को भी कहा था मगर एक साल बीत जाने पर भी कोई पत्र उनके परिवार को नहीं मिला। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि सरकार के पास संसाधनों की कमी है और इस कारण से षहीद की प्रतिमा लगाई नहीं जा रही है तो परिवार भी इसमें आर्थिक मदद कर सकता है मगर कम से कम वायदा तो पूरा हो।

परिवार को इस बात का भी रंज है कि पड्डल स्टेडियम का नाम तो किश्न चंद ठाकुर मैमोरियल स्टेडियम रखा है मगर कभी इसका जिक्र नहीं होता। ऐसे में शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर साल मेले जैसी श्रंगारित रचनाएं कैसे मूर्त रूप में जिंदा रह सकेंगी। भवानी सिंह ने अपने पूरे परिवार की ओर से प्रदेष के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, केबिनेट मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर और जिला प्रशासन मंडी से आग्रह किया है कि वह शहीद किश्न चंद ठाकुर की प्रतिमा को पड्डल मैदान में स्थापित करे और इस बारे में उनके परिवार को भी जानकारी दे। उनके नाम का उल्लेख भी स्टेडियम के नाम के साथ लगातार होना चाहिए ताकि नई पीढ़ी को भी शहीदों की शहादत के बारे में जानकारी हो सके।