हिमाचल निर्माता स्व डॉ यशवंत सिंह परमार की 114वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश भर में समारोहों का आयोजन किया गया। शिमला के एतिहासिक रिज मैदान पर डॉ परमार की प्रतिमा के सामने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, विपक्ष के नेता मुकेश अग्नि सहित नेताओं ने माल्यार्पण व पुष्प भेंट किए। डॉ परमार की जयंती पर प्रदेश सरकार की ओर से पीटर हॉफ में राज्यस्तरीय समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है।
सिरमौर जिला के चनालग गांव में 4 अगस्त 1906 को जन्मे डॉ परमार का जीवन संघर्षशील व्यक्ति का जीवन रहा। उन्होने 1928 में बीए आनर्स किया; लखनऊ से एमए और एलएलबी औऱ 1944 में समाजशास्त्र में पीएचडी की।1929-30 में वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य रहे। उन्होने सिरमौर रियासत में 11 वर्षों तक सब जज और मैजिसट्रेट (1930- 37) के बाद जिला और सत्र न्यायधीश (1937 -41) के रूप में अपनी सेवाए दी।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि डॉ. परमार का मार्गदर्शन आज भी उतना ही सार्थक है जितना हिमाचल बनने के समय था। उनकी दूरदर्शी सोच के चलते हिमाचल विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनका जीवन आदर्श मूल्यों पर आधारित था। बाग़वानी औऱ कृषि व्यवसाय को ध्यान में रखकर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया। डॉ परमार एक राजनीतिज्ञ ही नही जननायक थे।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि डॉ परमार हिमाचल निर्माता के रूप में जाने जाते है। उन्होंने हिमाचल को विज़न दिया एक नेतृत्व दिया। हिमाचल की व्यवहारिक कठिनायों को पार करते हुए केन्द्रीय नेतृत्व के सामने बड़े प्रभावी तरीके से रखते थे। उनके नेतृत्व में प्रदेश के विकास की जो गति आगे बढ़ी उसका अनुसरण आज भी किया जा रहा है। डॉ परमार ने पहाड़ एवम पहाड़ की संस्कृति को आगे ले जाने का काम किया।
डॉ परमार ने नौकरी की परवाह ना करते हुए सुकेत सत्याग्रह प्रजामण्डल से जुड़े। उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हुआ। 1943 से 46 तक वे सिरमौर एसोसियेशन के सचिव, 1946 से 47 तक हिमाचल हिल स्टेट कांउसिल के प्रधान, 1947 से 48 तक सदस्य आल इन्डिया पीपुलस कान्फ्रेस तथा प्रधान प्रजामण्डल सिरमौर संचालक सुकेत आन्दोलन से जुड़े रहे। डॉ॰ परमार के प्रयासों से ही 15 अप्रैल 1948 को 30 सियासतों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश बन पाया और 25 जनवरी 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
1948 से 52 सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाजरी काउंसिल, 1948 से 64 अध्यक्ष हिमाचल कांग्रेस कमेटी, 1952 से 56 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ; 1957 सांसद बने और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री पद पर कार्य करते रहे किया! डॉ॰ परमार ने पालियेन्डरी इन द हिमालयाज, हिमाचल पालियेन्डरी इटस शेप एण्ड स्टेटस, हिमाचल प्रदेश केस फार स्टेटहुड और हिमाचल प्रदे्श एरिया एण्ड लेगुएजिज नामक शोध आधारित पुस्तके भी लिखी। डॉ॰ परमार 2 मई 1981 को स्वर्ग सिधार गए।