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कोरोना महामारी में प्रतियोगी परीक्षाए हो स्थगित, आयोग के सचिव को सौंपा मांगपत्रः SFI

पी.चंद, शिमला |

शिमला में आज हिमाचल प्रदेश एसएफआई राज्य कमेटी के द्वारा  प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित कराने के लिए हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यालय के बाहर फिर से धरना प्रदर्शन किया गया और उसके बाद आयोग के सचिव को  मांगपत्र सौंपा गया। एसएफआई  राज्य कमेटी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनलॉक 3 को लेकर जारी की गई अधिसूचना में साफ तौर पर कहा गया है कि 31 अगस्त 2020 तक देश भर में सभी शिक्षण संस्थान बन्द रहेंगे और किसी भी तरह की पब्लिक गेदरिंग को अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई भी विभाग ऐसी गतिविधि आयोजित करता है तो उसे भारतीय आपदा प्रबन्धन  कानून 2005 की धारा 51 से लेकर 60 तक कानूनी कार्रवाही का प्रावधान किया गया है।

इसके साथ ही भारतीय दन्ड सहिंता की धारा 188 के तहत उस पर कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग केंद्रीय गृह मंत्रालय  के आदेशों का उल्लंघन कर इन परीक्षाओं का आयोजन करवा रहा है जिसे शीघ्र प्रभाव से स्थगित किया जाना चाहिए। क्योंकि हम जानते है आज एक और तो इस महामारी के कारण  छात्र पहले ही मानसिक रूप  से पीड़ित है , इन प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर चल रही असमंजस ने छात्रो की  चिंता बढ़ा दी है। पिछले 1 सप्ताह में पूरे प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है।

प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 2900 के पार पहुंच चुका है जिस कारण कई क्षेत्रों को या तो सील किया गया है या फिर रेड जोन में तब्दील किया गया है। इन क्षेत्रों में आवाजाही भी पूर्ण रूप से बाधित है। तो ऐसे में छात्रो का परीक्षा केंद्र तक पहुंचना खतरे से खाली नही होगा। दूसरी ओर आयोग के कोरोना संक्रमितों और क़वारन्टीन छात्रो को भी परीक्षाओ में बैठने की अनुमति देने के फैसले ने छात्रो के बीच व्यापक असुरक्षा का वातावरण पैदा कर दिया है।

इसलिए एसएफआई राज्य कमेटी मांग करती है कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओ को शीघ्र स्थगित किया जाए। ताकि इस महामारी के प्रवाह को रोका जा सके। अगर सरकार औऱ आयोग 6 और 7 अगस्त को होने वाली  प्रतियोगी परीक्षाओं को समय रहते स्थगित नही करता है तो आने वाले समय मे इन परीक्षाओं की वजह से यदि कोई छात्र संक्रमित होता है तो उसकी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार व लोक सेवा आयोग की होगी।  लोक सेवा आयोग के इस फैसले के खिलाफ  एसएफआई कानूनी लड़ाई को भी जारी रखेगी जिसके लिए प्रदेश उच्च न्यायालय में जनहित याचिका शीघ्र दायर की जाएगी।