कोरोना काल में सभी छात्रों को प्रोमोट करने की मांग को लेकर SFI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल इकाई ने विश्वविद्याल परीक्षा नियंत्रक को एक मांगपत्र सौंपा। एसएफआई का मानना है कि जिस तरह देश और प्रदेश भर में लगातार कोरोना मामलो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण छात्रों पर मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है । एक ओर तो विश्वविद्यालय प्रशासन यह दावा करता है कि हम छात्रों के हित में अपना फैसला सुनाएंगे। वहीं, दूसरी ओर महामारी के दौर में परीक्षा करवाने का बहुत बड़ा फैसला ले रहे है जिससे तमाम छात्रों में डर का माहौल है। पीजी कक्षाओं की पढ़ाई लगभग नाम मात्र की ही हो पाई है और विश्वविद्यालय प्रशासन बोल रहा है कि सिंतबर में पीजी कक्षाओं की भी परीक्षाएं ली जायेगी जोकि छात्रों के साथ धोखा है।
एसएफआई पिछले लंबे समय से प्रोमोशन की मांग कर रही है इसका कारण यही है की अगर इन हालातों में परीक्षाएं हुई तो संक्रमण का खतरा हो सकता है। कई विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने इस पूरी परिस्थिति को देखते हुए छात्रों को पिछले रिजल्ट्स के आधार पर प्रोमोट भी कर दिया है ताकि संक्रमण से बचा जा सके। और छात्र अपनी आगामी पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रख सके। एसएफआई का मानना है कि अगर इन हालातों में परीक्षाएं होंगी तो न केवल छात्रों को बल्कि छात्रों के परिवार वालों के साथ साथ टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को भी संक्रमण का खतरा होने की संभावनाएं बन सकती है।
दूसरी ओर यूजी प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने का जो आदेश उच्च शिक्षा निदेशालय ने दे दिया है वो भी अपने आप में विरोधाभास पैदा करता है। क्योंकि अभी तक छात्र यह नहीं समझ पाया है कि उन्हें प्रोमोट किया जा रहा है या परीक्षाएं देनी होंगी । इसको लेकर अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन और उच्च शिक्षा निदेशालय ने अपनी स्थिति साफ नहीं की है। ऐसे में छात्र किसकल प्रकार से ऑनलाइन पढ़ाई का हिस्सा बन पाएगा। एसएफआई मांग करती है कि छात्रों के तनाव को कम किया जाए और सभी छात्रों को प्रोमोट किया जाए। अन्यथा आने वाले समय मे एसएफआई तमाम छात्र समुदाय को साथ लेकर एक आंदोलन के अंदर जाएगी।